कथा के एकाध शब्द की धारणा होने पर सुधरता है मन: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जब-जब मन चंचल होवे भगवान के नामामृत और कथामृत का पान करो। कथा में बाधा आवे तो समझो कि अपने पाप अधिक हैं। वृथा बोलने के समान कोई पाप नहीं है। माप तौलकर बोलो। जितना जरूरी है उतना ही बोलो। वाणी को संयमित करो।
अन्त समय में इच्छा होने पर भी जीव बोल नहीं पाता। मन में पाप भरे हुए हैं। मन में देखोगे तो तुम्हें विश्वास होगा कि तुम्हारे मन में जितने पाप भरे हुए हैं, उतने संसार में भी नहीं है। एकाध बार का देखा हुआ सुन्दर संसारी दृश्य मन में बैठ जाता है। पर भगवत-स्मरण के समय का स्वरूप मन में नहीं बैठता।
थोड़ा सा लाभ मिलने पर मनुष्य हंसता है पर नुकसान होने पर रोता है। मन ऐसा है कि अपने प्रति किये उपकार को भूल जाता है और अपकार को याद रखता है।मन को सुधारने का उपाय है। मन को उल्टा करो तो नम बनेगा। सबको मन से नमन करो, सभी प्रभु के स्वरूप हैं। नमन और नाम इन दो उपायों से मन सुधरता है। जगत में कोई खराब नहीं है। अपना मन ही खराब है।
भगवत-कृपा से जो मिले, उसे भगवत प्रसाद समझकर प्राप्त करो, चाहना रखकर नहीं। कथा के एकाध शब्द की धारणा होने पर भी मन सुधरता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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