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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवत एक, रामायण अनेक- भागवत-कथा का वर्णन करना राम कथा के वर्णन की अपेक्षा सरल है। क्योंकि श्रीमद्भागवत की एक ही संहिता है। भगवान वेदव्यास का भागवत एक सरल ग्रंथ है किन्तु श्रीराम कथा का कोई अन्त नहीं है। वह अनंत है। इसी कारण गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महाराज कहते हैं- रामकथा के मिति जग नाही।। और हम आप श्री रामरक्षास्त्रोत का पठन नित्य करते हैं उसमें कहा गया है-
चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम्।
एकैकम् अक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्।।
श्रीरामचंद्र का यह चरित्र मधुर है और शतकोटिप्रविस्तरम् इतना विशाल है। श्री गोस्वामी जी ने भी कहा है- रामायण शतकोटि अपारा। श्रीगोस्वामी जी राम कथा को अपार क्यों कहते हैं? आज अपने देश में पूर्ण रूप से विद्यमान श्रीराम कथाओं की संख्या 200 के आसपास है। इनमें अन्यत्र छोटी-छोटी कथाओं का समावेश नहीं है।
हमारे भिन्न-भिन्न ऋषियों ने रामतत्व का प्रतिपादन किया है। अलग-अलग संतो ने अपनी-अपनी भाषा में उसे गया है। मराठी भाषा में ही देखें तो संत एकनाथ जी महाराज की ‘ भावार्थ रामायण ‘ कितनी मधुर है। मराठी भाषा में रचित ‘राम विजय ग्रंथ’ को अनेकों बार पढ़ा और सुना गया है। यह तो हुई मराठी भाषा की बात! इसी प्रकार हिंदी में
श्रीरामचरितमानस है। तमिल भाषा में ‘कम्ब रामायण’ है। बंगाल में ‘कृतिवास रामायण’ है इस प्रकार राम कथाओं का कोई अंत नहीं है। क्योंकि प्रत्येक को यह कथा मधुर लगी। किसी भी कवि, लेखक अथवा साहित्यकार को प्रभु श्रीराम के प्रति कुछ बोले या लिखे बिना जीवन की पूर्णता अनुभूत नहीं होती, ऐसी यह दिव्य कथा है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).