वृद्धावस्था के दौरान सात्विक जीवन व्यतीत करके भगवान की करनी चाहिए भक्ति: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जब जरासंध पीछे पड़ा तो श्रीकृष्ण प्रवर्षण पर्वत पर चले गये। इससे जरासन्ध उनका कुछ भी बिगाड़ न सका। जरासन्ध अर्थात् वृद्धावस्था। वृद्धावस्था पीछे पड़े तो आप भी सात्विक जीवन के प्रवर्षण पर्वत पर पहुंच जाओ, इससे वृद्धावस्था आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेगी — क्योंकि जीवन का प्राप्त करने योग्य अन्तिम ध्येय आप तब तक प्राप्त कर चुके होंगे।
वृद्धावस्था आए तो आप भी एकान्त में वास करो और सात्विक जीवन व्यतीत करके भगवान की भक्ति करो। बच्चों का विवाह हो जाय,अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी पूर्ण हो जाय और घर में पुत्रवधु आ जाय तो यह मानना कि अब गृहस्थ आश्रम पूरा हो गया है और खूब भजन करने का समय आ पहुँचा है।
मनुष्य पैसे के पीछे पागल बनता है, इसीलिए वह भटकता रहता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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