जो भगवान से युक्त हो जाता है उसे नही होता मृत्यु का भय: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मृत्यु जीवन का अनिवार्य सत्य है- मृत्यु जीवन का अनिवार्य सत्य है, यह समझकर मृत्यु से भागें नहीं, स्वीकार करें। मृत्यु के भय को छोड़ें। यह तो मालिक का बुलावा आया है, प्रभु की निमंत्रण पत्रिका है।
अब दुल्हन ससुराल जाने को तैयार हो रही है। डोली सजाई जायेगी, चार कहार उठायेंगे, स्नान कराया जायेगा, नूतन वस्त्र पहनाये जायेंगे, फूल की मलाएं डाली जायेंगी, तिलक किया जायेगा। श्री कबीर दास जी का निर्गुण पद है-
नैहर छूटयो ही जाय।
बाबुल मोरा नैहर छूटयो ही जाय।।
चार कहार मिल मोरी डोलिया सजाये।
अंगना तो पर्वत भया और देहरी भई विदेश।।
लो बाबुल घर आपनों, मैं तो चली पिया के देश।
मेरा अपना बेगाना छूटयो जाय छूटयो जाय।।
मृत्यु तो परमात्मा का बुलावा है, एक आनंद होना चाहिए। 
मरने से सब जग डरा, मेरो मन आनंद।
कब मिलिहौं कब भेटिहौं,  पूरण परमानन्द।।
मृत्यु का भय छूटना चाहिए और मृत्यु का भय तो तब छूटेगा, जब भाव होगा। भाव जागेगा, भय भागेगा। भाव तो उसी में होता है जो भगवान से युक्त हो जाता है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

More Articles Like This

Exit mobile version