Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन को समझाओ- मन यदि भटकता हो तो उसे फटकारते रहो। वैसे मन है भी बहुत डरपोक। एक बार डरा दोगे तो फिर कभी पाप नहीं करेगा। मन को समझाओ कि तू विषयों के साथ मग्न होकर पाप कर्म करता है और विषय ही तुझे सजा दिलवाते हैं।
आप अपने मन को स्वयं ही नहीं समझाओगे तो और कौन समझाएगा? यदि तुम्हें यह पता चल जाए कि थाली में रखे हुए एवं मुख से लार टपकाने वाले लड्डू में जहर मिला हुआ है तो चाहे कितनी भूख हो, क्या आपका मन उसे खाने को होगा? बस, इसी तरह आप अपने मन को समझाओ कि मीठे मधु जैसे लगने वाले विषय भोग तो हलाहल जहार से भरे हुए हैं। उनसे तो हमेशा दूर ही रहना चाहिए।
इतना समझ में आ जाए तो मन पाप की राह पर कभी नहीं जाएगा। केवल शरीर का नहीं, आत्मा का उपवास ही, प्रभु के पास पहुंचाएगा।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).