Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, धर्म वह नहीं है जो आपको बेहोश करे, धर्म वह है जो आपको होश में ले आये, जो आपको जागृत करे और जो होश में आ जाते हैं, जो जागृति में आ जाते हैं वे लोग ही समाज का कल्याण कर सकते हैं। धर्म की सच्ची सेवा कर सकते हैं और राष्ट्र का उत्थान कर सकते हैं।
आज इस समय धर्म के नाम पर इंसान को कन्वर्ट करके दूसरे धर्म का बनाने की कोशिश की जा रही है। क्या ऐसा धर्म सही है? वास्तव में धर्म वह है जो एक व्यक्ति को सच्चा इंसान बनावे, जो सभी उपासना करने वालों को सच्चा इंसान बनावे, सच्चे इंसान के रूप में जो आपको परिवर्तित करें वही धर्म है।
धर्म सीढ़ी है चाहे बुद्धिज्म हो, चाहे जैनिज्म हो ये सब प्रथम में मानवता और अन्त में ईश्वर को प्राप्त करने की सीढ़ियां हैं और जहां भगवान ने आपको जन्म दिया, आपको उसी परम्परा का पालन करना चाहिए। सीढ़ी चयन करने का अधिकार आपको नहीं है, ये अधिकार परमात्मा का है। परमात्मा हमारी योग्यता के आधार पर जहां जन्म देते हैं उसी परम्परा का निर्वाह करना चाहिए।
आपका ध्येय होना चाहिए कि हमें अध्यात्म के मंदिर में प्रवेश करना है और एक बार जिसने अध्यात्म के मंदिर में प्रवेश पा लिया तो सारे भेद समाप्त हो जाते हैं। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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