Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, महारास- पहले हुआ है रास, बीच में राधा-कृष्ण खड़े हुए हैं। चारों तरफ भक्तगण नृत्य कर रहे हैं, विभिन्न प्रकार के भावभंगिमांओं के द्वारा। उनका नृत्य अपने सुख के लिए नहीं, प्रभु को मुस्कुराते हुए देखने के लिये है। यदि किसी भक्त ने गीत गाया और वह नृत्य करता है, देखकर प्रभु ने जय-जय, वाह-वाह कह दिया, तब भक्त सोचता है कि- करोड़ों जन्म की आराधना सफल हो गई।
हमारी इंद्रियां भी आत्मा के सुख के लिए ही क्रियाएं करती हैं। जब तक हमारे अंदर संसार की कामना है तब तक इस रस का अनुभव नहीं हो सकता। जब आप स्वयं को कामना से रहित कर लोगे, अपनी कोई इच्छा ही नहीं रह जायेगी, तब निकुंजस्त्व श्याम सुंदर की क्रीड़ा का आपको अनुभव होगा। जब उनकी मुस्कुराहट, उनका मिलन, उनकी नित्य लीला आपको अपनी मालूम पड़ेगी और ऐसा लगेगा कि जीवन का परम फल आपको प्राप्त होगा।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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