Parshuram Jayanti 2025: विष्णु जी के अवतार होकर भी क्यों नहीं पूजे जाते भगवान परशुराम, जानिए वजह

Divya Rai
Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Parshuram Jayanti 2025: आज 29 अप्रैल 2025 को देशभर में भगवान परशुराम की जयंती (Parshuram Jayanti 2025) मनाई जा रही है. धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार, वैशाख माह के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान विष्‍णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्‍म हुआ था. परशुराम जी भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि ओर रेणुका के पुत्र है.

जन्‍म के समय इनका नाम राम था, लेकिन कुछ समय बाद देवाधिदेव महादेव इनके भक्ति से प्रसन्‍न होकर इनको परशु नामक शस्‍त्र दिया. तब से उनको परशुराम कहा जाने लगा. भगवान परशुराम के विषय में कई रोचक जानकारियां धार्मिक ग्रंथो में दी गई हैं. भगवान विष्‍णु के छठे अवतार होने के बाद भी अन्य देवी-देवताओं की तरह इनकी पूजा नहीं की जाती है. ऐसा क्‍यों है और परशुराम जी के जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में आइए जानते हैं.

जानिए भगवान परशुराम के जीवन से जुड़ी रोचक बातें

  • भगवान परशुराम को विष्णुजी का आवशावतार माना जाता है. माता-पिता ने इन्‍हें राम नाम दिया, परंतु भगवान शिव द्वारा इन्हें परशु नाम का अस्त्र मिला था. तभी से इनका नाम परशुराम प्रचलित हुआ. स्वयं भगवान शिव परशुराम जी के गुरु हैं. वहीं ऋचीक और विश्वामित्र को भी इनका गुरु माना जाता है. द्रोणाचार्य, भीष्म और कर्ण परशुराम जी के शिष्य थे.
  • परशुरामजी ने भगवान श्रीराम को शारंग नाम का धनुष दिया था. भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया था. धर्म की स्थापना के लिए उन्होंने भगवान राम और कृष्ण की मदद की थी.
  • पिता के आदेश से प्रतिबद्ध होकर एक बार भगवान परशुराम ने अपनी माता का वध कर दिया था. हालांकि बाद में पिता ने उनसे खुश होकर वर मांगने को कहा तो उन्होंने माता को जीवन दान देने का वर मांगा.
  • एक बार परशुराम जी जब भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए जा रहे थे तो श्रीगणेश ने उन्हें रोक दिया. इससे क्रोधित होकर परशुराम जी ने अपने परशु से गणेश जी पर वार कर दिया. वार के आघात से भगवान गणेश का एक दांत टूट गया, तभी से गणेशजी एक दंत कहे जाते हैं.
  • भगवान परशुराम ने अभिमानी हैहय वंशियों का पृथ्वी पर 21 बार विनाश किया था. जबकि आम धारणा यह है कि उन्‍होंने समस्त क्षत्रियों का नाश किया था. ये बात बिल्‍कुल गलत है. उनकी शत्रुता हैहयवंशियों से ही थी.

विष्णु जी के अवतार होकर भी क्यों नहीं पूजे जाते

विष्‍णु अवतार भगवान परशुराम को सात चिरंजीवियों में से एक माना जाता है. जबकि विष्णु भगवान के अन्य सभी अवतार पृथ्वी लोक से जा चुके हैं, इसलिए भगवान परशुराम जी की पूजा नहीं बल्कि उनका आवाहन किया जाता है. साथ ही भगवान परशुराम, विष्णुदेव के उग्र अवतार माने गये हैं, जिनकी पूजा करने से अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त होती है. एक साधारण मनुष्‍य इतनी अधिक ऊर्जा को नियंत्रित नहीं कर सकता इसलिए भी इनकी पूजा ज्यादा लोगों के द्वारा नहीं की जाती. हालांकि योग-ध्यान से सिद्ध व्यक्ति आज भी परशुराम जी का आवाहन करते हैं. परशुराम जी की स्तुति और आवाहन करने से इंसान का पराक्रम और साहस बढ़ता है. वह पारलौकिक ज्ञान भक्त को प्राप्त होता है. साहसिक कार्य करने वाले लोगों के लिए भगवान परशुराम की आराधना करना अत्यंत शुभ फलदायी होगा.

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