Parshuram Jayanti 2025: परशुराम जी ने क्यों अपने ही मां का कर दिया वध, जानिए पौराणिक कथा

Divya Rai
Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Parshuram Jayanti 2025: हर साल वैशाख माह के शुक्‍ल पक्ष के तृतीया ति‍थि को परशुराम जी की जयंती मनाई जाती है. कहा जाता है कि इस दिन किया गया दान-पुण्‍य कभी क्षय नहीं होता है. भगवान परशुराम की गिनती महर्षि वेदव्यास, अश्वत्थामा, राजा बलि, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, ऋषि मार्कंडेय समेंत उन आठ किरदारों में होती है, जिन्हें कालांतर तक अमर माना जाता है.

भगवान विष्णु के छठे अवतार

भगवान परशुराम जन्म त्रेतायुग में एक भार्गव वंश में हुआ था. इन्‍हें भगवान विष्णु का छठां अवतार भी माना जाता है. इनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था. पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि भगवान परशुराम अत्यंत क्रोधी स्वभाव के थे. इनके क्रोध से सभी देवी-देवता भी डरते थे.

परशुराम ने भगवान गणेश के तोड़ दिए दांत

कहा जाता है कि एक बार भगवान परशुराम ने क्रोध में आकर भगवान गणेश का दांत तोड़ दिया था. इतना ही नहीं, उन्होंने पिता के कहने पर अपनी मां को भी मार दिया था. वहीं, मान्‍यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के छठें अवतार भगवान परशुराम की पूजा करने से शौर्य, कांति एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. साथ ही शत्रुओं का नाश होता है.

माता-पिता के थे परम आज्ञाकारी पुत्र

शास्‍त्रों में भगवान परशुराम को पराक्रम का प्रतिक माना जाता है. वह अपने माता-पिता के परम आज्ञाकारी पुत्र थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार परशुराम की माता जल लेने नदी पर गईं. वहां उन्होंने गंधर्वराज चित्ररथ को जल में अप्सराओं के साथ देखा और कुछ देर वहीं रूक गईं. उस वक्‍त उनके मन में विकार उत्पन्न हो गया. फिर अचानक उन्हें याद आया कि उनके पति के हवन का समय हो रहा है ऐसे में वो तुरंत जल लेकर घर पहुंचीं. माता रेणुका के देर से घर पहुंचने पर जमदग्नि ऋषि ने अपने तपोबल से अपनी पत्नी का मानसिक व्यभिचार जान लिया. उन्होंने अपने तीन बड़े पुत्रों को आज्ञा दी कि वो अपनी माता का वध कर दें लेकिन सभी ने इसे पाप समझकर अपने पिता की बात नहीं मानी.

परशुराम ने अपने ही माता का कर दिया वध

आखिर में जमदग्नि ऋषि ने परशुराम को अपनी माता का वध करने की आज्ञा दी. साथ ही उन्होंने अपने तीनों पुत्रों को भी मारने को कहा क्‍योंकि उन्‍होंने उनकी आज्ञा का पालन नहीं किया. पिता की आज्ञा का पालन करते हुए परशुराम ने अपनी माता का वध कर दिया. पुत्र की पितृभक्ति देखकर जमदग्नि ऋषि प्रसन्न हो गए और उन्‍होंने परशुराम से वर मांगने को कहा.

अस्त्र-शस्त्र में निपुणता का मिला वरदान

उस वक्‍त परशुराम अपने पिता का तपोबल जानते थे,उन्होंने अपने पिता से अपनी मां को पुनर्जीवित करने का वरदान मांगा. उन्होंने पिता से कहा कि उनकी मां ऐसे जीवित हों जैसे कि निद्रा से जागे हों और उन्हें इस बात का स्मरण न रहे कि मैंने उन्हें मारा था. जमदग्नि ऋषि के तपोबल से ऐसा ही हुआ. साथ ही पुत्र की तीव्र बुद्धि को देख ऋषि ने उन्हें ख्याति और अस्त्र-शस्त्र में निपुणता का भी वरदान दिया.

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