Sawan Special Story: भगवान शिव के इस मंदिर में चढ़ाया जाता है झाड़ू, अनोखे मंदिर की अलग है मान्यता

Abhinav Tripathi
Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Pataleshwar Mahadev Temple of Sadatwari: सावन का पावन महीना चल रहा है. देश भर के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. देश ही नहीं विश्व में जहां भी भगवान शिव के मंदिर हैं, वहां पर भक्तों का तांता लगा हुआ है. देश में बने हर मंदिर की अपनी एक अलग मान्यता है. कुछ मंदिरों की कहानी तो रहस्यमयी है, जिनको आज तक कोई भी उजागर करने में सफल नहीं हुआ. हम मंदिरों में भगवान से आशीर्वाद मांगने जाते हैं. प्रभु से अपने दुखों से छुटकारा पाने का निवेदन करते हैं. इस दौरान हम कई प्रकार का चढ़ावा जैसे फूल, फल, सोना, चांदी आदि भी चढ़ाते हैं.

इस बीच आज हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां पर भक्त भगवान शिव को झाड़ू चढ़ाते हैं और रोगों से मुक्ति पाने की विनती करते हैं. आइए बताते हैं यह मंदिर कहां स्थित है और इसकी मान्यता क्या है?

जानिए कहां स्थित है मंदिर

उत्तर प्रदेश के संभल जिले के बहजोई के सादतबाड़ी नामक गांव में एक भगवान शिव का मंदिर स्थित है. इस मंदिर को पतालेश्वर शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में भक्त भगवान शिव को झाड़ू चढ़ाते हैं, सावन के दिनों में यहां पर लंबी कतार लगती है.

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मंदिर की मान्यता क्या है?

जानकारी दें कि इस मंदिर में भगवान शिव का पवित्र शिवलिंग स्थापित है. बताया जाता है कि इस शिवलिंग का आधार पाताल में है. इस वजह से ही मंदिर को पातालेश्वर महादेव का मंदिर कहा जाता है. कहा यह भी जाता है कि शिवलिंग की गहराई को परखने के लिए शिवलिंग को उखाड़ने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन इस पवित्र शिवलिंग को कोई हिला नहीं सका.

झाड़ू चढ़ाने की मान्यता

भगवान शिव का पातालेश्वर मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है. देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां पर दर्शन पूजन के लिए आते हैं. सदियों से यहां पर दूध के साथ भगवान शिव को झाड़ू चढ़ाने की परंपरा चली आ रही हैं. दूर-दूर से लोग यहां पर झाड़ू चढ़ाने के लिए आते हैं. यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में भगवान शिव को झाड़ू चढ़ाने से त्वचा से जुड़े रोगों से मुक्ति मिलती है.

कैसे शुरू हुई झाड़ू चढ़ाने की परंपरा

दरअसल, बताया जाता है कि सदियों पहले एक भिखारी दास नाम का झाड़ू का व्यापारी था, जो त्वचा के रोगों से पीड़ित था. कई बार इलाज कराने के बाद भी वह ठीक नहीं हो रहा था. इस बीच कहीं वह जा रहा था, तभी उसको रास्ते में प्यास लगी और वह एक आश्रम के पास रुक गया. जहां पर उसका झाड़ू आश्रम से टकरा गया. कहा जाता है कि झाड़ू से टकराते ही उसकी त्वचा का रोग ठीक हो गया था.

व्यापारी ने बनवाया मंदिर

व्यापारी भिखारी दास ने त्वचा के रोग से मुक्ति पाने के बाद आश्रम में रहने वाले संतों को बहुत सा धन देने की इच्छा प्रकट की. हालांकि, इस धन को लेने से संतो ने मना कर दिया. संतों ने कहा कि आप यहां पर एक मंदिर का निर्माण करा दीजिए. इसके बाद व्यापारी ने यहां पर एक शिव मंदिर का निर्माण कराया. इस मंदिर के निर्माण के बाद इस मंदिर को सादात बाड़ी शिव मंदिर के नाम से जाना जाने लगा. इसके बाद यहां पर झाड़ू चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई. जानकारी दें कि पातालेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना सन् 1902 में की गई थी. इस मंदिर में साल में दो बार मेला भी लगता है.

(अस्वीकरण: लेख में दी गई जानकारी सामान्य मीडिया रिपोर्ट्स पर लिखी गई है. द प्रिंटलाइंस इसकी पुष्टी नहीं करता है.)

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