संदेह रहित होकर जी सकते हैं भगवद्मय जीवन जीने वाले व्यक्ति: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, समर्पण योग- भागवत समर्पण योग सीखने के लिए है. भागवत में वर्णन आता है कि जो कुछ तुम्हारा है, उसे प्रभु के चरणों में अर्पित कर दो एवं बाद में विवेक से उसका उपयोग करो. गले में कंठी डालने के पीछे भक्त का यह भाव होना चाहिए कि यह शरीर मैं कृष्णार्पण करता हूं. कृष्ण प्रसन्न रहें इसी रीति से मैं शरीर का उपयोग करूंगा.

ऐसे समर्पण भाव से जीव भगवान का बन जाता है और निर्भयता पूर्वक काल को भगा सकता है. काल का डर तो देवताओं को भी लगता है, किंतु जीव समर्पण भाव से जैसे ही ईश्वर के साथ प्रीति बांध लेता है, वैसे ही काल का भय समाप्त हो जाता है. हम प्रभु के बालक हैं और हमारे पिता सर्वश्रेष्ठ है, इस भाव से भगवद्मय जीवन जीने वाले व्यक्ति संदेह रहित होकर जी सकते हैं.

जिस तरह पैसा प्राप्त करने के लिए पसीना बहाते हो, इसी तरह परमात्मा को प्राप्त करने के लिए भी पसीना बहाओ. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश). श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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