Pitru Paksha: गया में पितरों को बैठाने के बाद पितृपक्ष में जल देना चाहिए या नहीं? जानिए नियम

Shubham Tiwari
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Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Pitru Paksha Ancestors Puja Rule: पितृपक्ष का समय चल रहा है. इस समय हमारे पूर्वज पृथ्वी पर विचरण करते हैं. सभी पूर्वज अपने-अपने कुल यानी वंशज से अन्न जल की आशा करते हैं. उनकी आशा को पूरा करना हम सभी का कर्तव्य होता है. कुछ लोग करते हैं कुछ लोग नहीं करते, ये अपनी-अपनी आस्था तथा संस्कार का विषय है.

पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों के नाम पर जल देते हैं और उनके मृत्यु की तिथि के दिन श्राद्ध करते हैं. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों के आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. इसके अलावा पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पितरों की मुक्ति के लिए बिहार के गया जी में पिंडदान कर स्थान देते हैं. ऐसे में कुछ लोगों के मन में ये सवाल बना रहता है कि गया जी में पितरों को बैठाने के बाद पितृपक्ष के दौरान उनके निमित्त श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए या नहीं? आइए जानते हैं इसको लेकर क्या कहते हैं काशी के ज्योतिषाचार्य…

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जानिए क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य

काशी के ज्योतिषाचार्य के अनसुार जो पितर भटकते रहते हैं उनको जल देना अन्न देना आपकी जिम्मेदारी है. कोई दूसरा आपके पितरों को अन्न-जल नहीं देगा. इसलिए आप सभी से निवेदन है कि अपने पितरों को जल देकर तृप्त करें. कुछ लोग कहते हैं की हम अपने पितरों को गया जी बैठा दिए हैं, इसलिए जल नहीं देते, तो ये सर्वथा गलत है, क्योंकि अगर आप पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों का तर्पण नहीं करते हैं तो उनकी आत्मा भटकती है, जिसके चलते पितृदोष लगता है और कई तरह के संकटों का सामना करना पड़ता है.

पितृ पक्ष में देवी देवता की पूजा करनी चाहिए या नहीं?

कुछ लोग पितृपक्ष को बोलते हैं की सूतक लगा है पूजा पाठ सब बंद कर देते हैं, यहां तक कि कुछ महिलाएं सिंदूर तक लगाना छोड़ देती हैं. उनको ये नहीं पता की सिंदूर लगाना कब छूटता है ये सर्वथा गलत है? नित्य जो आप पूजा पाठ करते हैं वो सब होगा, केवल किसी कामना के लिए अनुष्ठान पूजा अलग से नहीं होगा. पितृपक्ष पितरों का समय होता है न की सूतक का. जैसे नवरात्रि देवी जी का, सावन शिव जी का, इसलिए सभी भ्रम छोड़कर आप नित्य पूजा पाठ जो घर में हमेशा चलता है उसे करें. महिलाएं भी अपने घर में सोलह श्रृंगार करके रहें. पितृपक्ष के दौरान घर में सिर्फ विवाह, जनेव, मुंडन जैसे शुभ कार्यों के करने की मनाही होती है.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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