निष्काम भक्ति से ईश्वर की होती है प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान श्री कृष्ण का प्राकट्य मथुरा में हुआ. भगवान गोकुल पधारे, भगवान का उत्सव-महोत्सव नंद बाबा ने गोकुल में मनाया. आध्यात्मिक दृष्टि से मथुरा अर्थात् भक्त का हृदय. भजन साधन करते-करते जिस साधक का हृदय विकार शून्य हो गया, ऐसे भक्त के हृदय को मथुरा कहते हैं और जिसके जीवन में व्यसन, विकार भरे पड़े हैं, उन्हीं का साम्राज्य है, ऐसे हृदय को मधुरा कहते हैं. ऐसे हृदय में व्यसन की लालसा, विकार सब उत्पन्न होते हैं.

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जिसका हृदय निर्विकार हो चुका है, ऐसे हृदय में भगवान प्रकट होते हैं. बिना भजन के हृदय का निष्काम होना असंभव है और जब तक हमारी भक्ति निष्काम नहीं होगी, तब तक प्रभु प्राप्ति भी असंभव है. सकाम भक्ति से जो हमारी कामना होती है, वह तो पूर्ण हो जाती है, परंतु भगवान नहीं मिलते. भजन साधन करते जीवन में कोई ऐसा दिन आवे कि हमारे जीवन में निष्कामता आ जाय. निष्काम भक्ति ईश्वर प्राप्ति कराने वाली है.

भगवान का प्राकट्य उत्सव गोकुल में मनाया गया. गो का अर्थ इंद्रिय, कुल का अर्थ समूह से है, इंद्रियों का समूह ही शरीर है. भक्ति का सम्मान शरीर से ही होता है. भक्त भगवान की पूजा अर्चा करता है, वह बिना शरीर के संभव नहीं है. हम आपको अपने जीवन में भजन साधन करके निष्कामता लाना है और अपने जीवन में भगवान की भक्ति करना है. सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना. श्रीदिव्य घनश्याम धाम, श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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