Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आज संपूर्ण मानव जाति को सत्संग की महती आवश्यकता है. आज हम भौतिक रूप से समृद्ध और विकास की तरफ हैं. लेकिन, हमारा अंतःकरण घोर विकृति की तरफ है. प्रकृति के आठ भेद कहे गये हैं. भूमि, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार.
प्रकृति का भी दो स्वरूप है, एक स्थूल प्रकृति और एक सूक्ष्म प्रकृति. स्थूल प्रकृति का दर्शन तो हम आप संसार में करते हैं, लेकिन सूक्ष्म प्रकृति का चिंतन करने से पता लगता है, पृथ्वी, तेज, जल, वायू और आकाश पांच तत्व से शरीर बना हुआ है, मन, बुद्धि और अहंकार ये आठ मिल करके जीवन चल रहा है. आज पूरा विश्व कह रहा है, पर्यावरण दूषित हो रहा है.
1- धरती: धरती भी विकृत हो रही है. रासायनिक छिड़काव, यूरिया खाद, आज के विज्ञान ने जैविकीय रसायन बना लिए।जिससे भूमि भी दूषित हो रही है. आज केवल यूरिया खाद के बल पर खेती उपजाई जा रही है.
2-जल: जल भी दूषित हो रहा है. धनवान लोग खरीद करके पानी पी लेंगे, लेकिन जन सामान्य उस दूषित जल का शिकार होगा.
3-तेज: तेज भी विकृत हो रहा है, ओजोन नाम की पर्त हल्की होने के कारण, संपूर्ण भौतिक जगत चिंतित हो रहा है.
4-वायु: वायु भी विकृत हो रही है. महानगरों में थोड़ा देर घूम कर आओ तो ऐसा महसूस होता है, जैसे धुएं में घूम कर आ रहे हैं.
5-आकाश: आकाश भी विकृत हो रहा है.
6-मन: विश्व कल्याण की भावना है, तो मन स्वस्थ है. अगर हम किसी का अकल्याण चाहते हैं, तो हमारा मन विकृत है.
7-बुद्धि: बुद्धि भगवान में लगी है, सबके कल्याण की भावना है, तो स्वस्थ है और राग द्वेष से युक्त बुद्धि विकृत मानी जाती है.
8-अहंकार: अहंकार भी विकृत हो जाता है. शरीर और संसार का अभिमान अहंकार को विकृत करता है.
सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना. श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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