Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कई लोग प्रश्न करते हैं कि हम तो प्रत्यक्ष को ही प्रमाण मानते हैं। क्या आपने भगवान को देखा है? संत कहते हैं- श्री गिरिराज जी महाराज प्रत्यक्ष भगवान हैं। भागवत में लिखा है- ‘ शैलोऽस्मि ‘ अर्थात् मैं गिरिराज हूँ। जिसे भगवान का प्रत्यक्ष दर्शन करना हो उसे गोवर्धन आ करके प्रत्यक्ष श्रीगिरिराजजी के रूप में श्रीराधा कृष्ण का दर्शन करना चाहिए। गोवर्धन आकर श्रीगिरिराजजी का दर्शन करने से प्रत्यक्ष भगवान के दर्शन का पुण्य फल मिलता है। तब प्रश्न उठता है कि भगवान के दर्शन का क्या फल है। उसका उत्तर है-
मम दर्शन फल परम अनूपा।
जीव पाव निज सहज स्वरूपा।।
भगवान् श्रीराम मां शबरी के समक्ष कहते हैं कि मेरे दर्शन का फल है जीव को सहज स्वरूप की प्राप्ति हो जाती है। सहज स्वरूप की प्राप्ति से अर्थ है, यह बोध हो जाना- मैं कौन हूं? मुझे क्या करना चाहिए? मेरा लक्ष्य क्या है? अगर इस बात का व्यक्ति को बोध हो गया तो वह सदमार्ग पर चलकर अपने लक्ष्य अर्थात् परमात्मा की प्राप्ति कर लेगा और उसका जीवन सफल हो जायेगा, जनम-मरण से छुटकारा पा जायेगा।
सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना। श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)