पुरुषार्थ के मुर्तमान स्वरूप हैं भगवान कार्तिकेय: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान शिव विश्वास के मूर्तमान स्वरूप है और माता पार्वती मूर्तिमान श्रद्धा स्वरूपा हैं. भगवान शिव समाधि में थे और माता पार्वती ने साधना पूर्ण कर लिया था. उसी बीच में तारकासुर नाम का दानव उत्पन्न हुआ. आध्यात्मिक दृष्टि से तारकासुर को बहम अर्थात भ्रम की स्थिति बताया गया है. साधना क्षेत्र में भ्रम बहुत ही घातक है.

श्रीशिवमहापुराण में भगवान व्यास कहते हैं-‘संशयात्मा विनशस्यति’ जो हमेशा संशय में रहता है, वह बिना कुछ किये ही नष्ट हो जाता है. उसका जीवन और सारा मनोरथ व्यर्थ हो जाता है. हमारे जीवन का भ्रम कब मिटेगा? जब श्रद्धा और विश्वास का मिलन हो, शिव पार्वती का विवाह श्रद्धा विश्वास का मिलन है. जीवन में श्रद्धा विश्वास का मिलन होता है, तो पुरुषार्थ का जन्म होता है. भगवान कार्तिकेय पुरुषार्थ के मुर्तमान स्वरूप हैं.

पुरुषार्थ के आने पर भ्रम रह नहीं सकता. फिर साधक कहता है कि हमें तो साधना पथ पर चलने से काम है, बाकी सब परमात्मा पर सौंप करके वह अपने कर्तव्य पथ और अपने साधना पथ पर चल करके मंजिल को प्राप्त कर लेता है. हमारे आपके जीवन में श्रद्धा विश्वास पुरुषार्थ तीनों आ जायें तब सहज विवेक की उत्पत्ति होती है. भगवान गणेश मूर्तिमान विवेक के स्वरूप है. भगवान गणेश मंगल कर्ता हैं और विघ्नहर्ता हैं.

जिसके जीवन में विवेक आ गया उसके जीवन में मंगल ही मंगल है. सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना. श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा. पो. गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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