सूर्य और चंद्र के समान हैं भगवान शंकर के नेत्र: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जल हमारे जीवन के लिए अति आवश्यक है, जल ही जीवन है. परन्तु इसके तीन रूप हैं, बर्फ पानी और वाष्प. भगवान शंकर में यह तीनों रूप दिखाई पड़ता है. 1- बर्फ: भगवान शंकर कैलाश पर विराजते हैं, वहां बर्फ बहुत है.

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2- जल रूप: जल उनके सिर से निरंतर प्रवाहित होता है. वस्तुतः जब भगवान शंकर क्रोध करते हैं,  तो समुद्र, नदी, सरोवर ताल-तलैया का जल उबालने लगता है और वाष्प बना, आवश्यकता पड़ने पर बरसात होती है, जिससे बाग बगीची हरियाली होती है. भगवान शंकर के दो नेत्र सूर्य और चंद्र के समान हैं.

एक धरती को गर्म करने के लिए है, दूसरा धरती को बरसात कर शीतल करने का काम करता है. सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना. श्रीदिव्य घनश्याम धाम, श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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