संसार से विदाई के बाद भी लोग याद करते रहें, उसे कहते हैं यश: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, धर्माय यशसेऽर्थाय कामाय स्वजनाय च। पञ्चधा विभजन्वित्तमिहामुत्र च मोदते।। भगवान व्यास श्रीमद्भागवत महापुराण वामन अवतार के कथा प्रसंग में कहते हैं। अगर व्यक्ति इस लोक और परलोक दोनो जगह सुखी रहना चाहता है, तो अपनी कमाई के धन का पांच भाग करे।

1-धर्माय÷ एक भाग धर्म में लगाना चाहिए। धर्म का आशय है गौ सेवा, संत सेवा या जहां अति आवश्यक है उन लोगों की सेवा, इसे धर्म कहा गया है।

2-यशसे÷ अपनी पुण्य कमाई का एक भाग यश के लिए लगाना चाहिए। यश से अर्थ है धर्मशाला बनाना, कुआँ,बावड़ी, विद्यालय बनाना। जिससे स्वयं का और पूर्वजों का यश अर्थात कीर्ति हो।

कबीरा तू पैदा हुआ जगत हंसा तू रोय।

ऐसी करनी कर चलो तू हंसे जग रोय।।

अपने संसार से विदाई के बाद भी लोग याद करते रहें। उसे यश कहते हैं।

3-अर्थाय÷ अपनी पुण्य कमाई में से एक भाग अपने विकास के लिए लगाना चाहिए। अपने द्वारा घर परिवार का विकास भी होना चाहिए। जहां और जिस स्थिति माता-पिता हमें छोड़ कर गये उतने में ही हम रह जाएंगे यह भी अच्छा नहीं। क्रम आगे भी बढ़ना चाहिए।

4-कामाय÷ अपनी पुण्य कमाई में से एक भाग अपने घर परिवार पर भी खर्च करना चाहिए। अगर भगवान ने दिया है तो स्वयं घर परिवार समेत अच्छे वस्त्र धारण करें, अच्छे ढंग से जीवन जीना चाहिये। संपन्न होने के बाद भी बहुत दुःख पाना अच्छा नहीं है। दुःख पाकर भी परमार्थ करना तो अच्छा है। लेकिन केवल संचय करने के लिए दुःख पाना अच्छा नहीं है।

5-स्वजनाय च÷ अपनी कमाई में से एक भाग अपने स्वजनों के लिए रखना चाहिए। हमारे स्वजनों में किसी को संकट है उसकी अवश्य मदद करना चाहिए।

भगवान व्यास श्रीमद्भागवत महापुराण में कहते हैं कि अगर किसी को इस लोक और परलोक दोनों जगह सुखी रहने की कामना है, तो इस तरह धन व्यय करना चाहिए।

वामन अवतार कथा की फलश्रुति में कहते हैं कि- वामन अवतार की कथा श्रवण करने से अथवा भागवत में पढ़ने सुनने से व्यक्ति का धंधा या कामकाज लॉस में नुकसान में जा रहा है तो लाभ की तरफ हो जाता है।

सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना। श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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