Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान शिव की अद्भुत बरात का वर्णन है, ऐसी बारात सृष्टि के इतिहास में कभी नहीं निकली. शिव बारात में समस्त देवता शामिल थे, दानव, मानव, भूत, पिशाच, शाकिनी, डाकिनी सब शामिल थे. किसी के लिए मनाई नहीं थी. गंगा स्नान के लिए कोई व्यक्ति जाता है, तो श्री गंगा जी कोई भेदभाव नहीं करती, सबके पापों का हरण करती हैं. कोई पुण्यात्मा जाता हो और गंगा जी उसको स्वागतम्, स्वागतम् कहती हों ऐसा भी नहीं और कोई पापी गया हो तो तू पाप धोने आया है वापस जा ऐसा भी नहीं. जो कोई गंगा मां की शरण में जाता है, श्रीगंगा जी सबका मंगल करती है.
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जब श्रीगंगाजी किसी को मना करने वाली नहीं है तो गंगाधर शिव भला किसी को कैसे मना कर सकते हैं. शिव बारात को देखकर एक बार हिमाचल वासी भयभीत हो गये. देवर्षि श्रीनारदजी पधारे, उन्होंने भगवान शंकर के स्वरूप का बोध सभी को कराया और जब सभी को भगवान शिव और भगवती पार्वती का बोध हो गया, तो सारा भय समाप्त हो गया बड़े धूमधाम से शिव पार्वती का विवाह हुआ. हम सबके भीतर परमात्मा के प्रति श्रद्धा विद्यमान है और घट-घट में बसने वाले शिव हम सबके द्वार पर उपस्थित हैं.
बस देवर्षि नारद जैसा कोई गुरु मिले जो हमें शिव का परिचय करा दे और हमारी श्रद्धा को भगवान से जोड़ दे. बस समझ लो जीवन धन्य हो गया। यह श्री शिव पार्वती विवाह का आध्यात्मिक अर्थ है. सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना. श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).