Ramlala Daily Routine: रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के आज आठ दिन हो गए हैं. रामलला भव्य राम मंदिर में विराजमान हो गए हैं. प्रतिदिन लाखों की संख्या में राम भक्त रामलला के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. भक्तों को दर्शन देने के बीच रामलला सहज रहें इसका भी विशेष ख्याल रखा गया है. बता दें कि 24 घंटे रामलला के भोजन, शयन, आराम आदि सभी क्रियाओं का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. राम मंदिर मे रामलला की देखभाल एक राजकुमार की तरह ही की जा रही है. आइए जानते हैं पूरी दिनचर्या…
राम मंदिर में रामलला 5 वर्ष के बालक के रूप में विराजमान हैं. ऐसे में उनकी देखभाल एक राजकुमार की तरह की जा रही है. रामलला की पूरी दिनचर्या तय की गई है. इसके लिए श्री रामोपासना संहिता बनाई गई है. उसी के आधार पर रामलला की देखरेख की जा रही है.
रामलला की पूरी दिनचर्या
बता दें कि रामलला को प्रतिदिन सुबह पुजारी 4 बजे वैसे ही जगाते हैं जैसे माता कौशिल्या उन्हें जगाती थी. इसके बाद रामलला के बिस्तर को ठीक किया जाता है और उन्हें मंजन कराया जाता है. तत्पश्चात रामलका को मुकुट या पगड़ी पहनाई जाती है. इसके बात उन्हें उनके रुचि के अनुसार अखंड फल का भोग लगाया जाता है. भगवान रामलला को मालपुआ बहुत पसंद है. इसिलए उन्हें रबड़ी, मालपुआ, मक्खन, मिश्री, मलाई आदि का भोग लगाया जाता है.
पूजन आरती और स्नान-श्रृंगार
इसके बाद रामलला की पूजन और मंगला आरती की जाती है. इस दौरान उन्हें सफेद गाय और बछड़े का दर्शन कराया जाता है. फिर स्वर्ण गज का दर्शन कराया जाता है. इसके बाद उनका स्नान श्रृंगार किया जाता है और राजकीय पद्धति से स्नान कराके दिन और मौकों के अनुसार वस्त्र पहनाए जाते हैं. रामलला को सप्ताह के अलग-अलग दिन अलग-अलग रंग के कपड़े पहनाए जाते हैं. इसके बाद शृंगार आरती होती है. यह पूरी प्रकिया सुबह साढ़े 6 बजे तक पूरी कर ली जाती है. इसके बाद सुबह 6:30 बजे से रामलला भक्तों को दर्शन देते हैं.
रामलला कब करते हैं विश्राम
रामलला बालक रूप में हैं. इसलिए वो अपने भक्तों को लगातार दर्शन नहीं दे सकते हैं. ऐसे में सुबह 9:30 बजे कुछ देर के लिए पट बंद किए जाते हैं. उन्हें फिर से फल-दूध आदि का भोग लगाया जाता है. जिसके बाद वे 11:30 बजे तक दर्शन देते हैं. 11:30 बजे रामलला को राजभोग लगाया जाता है. 12 बजे राजभोग आरती होती है और आधे घंटे दर्शन देने के बाद 12:30 बजे से रामलला का मध्यान्ह विश्राम शुरू हो जाता है, जो दोपहर ढाई बजे तक चलता है. इसके बाद ढाई बजे उन्हें अर्चकों द्वारा जगाया जाता है और फिर भोग लगाया जाता है. जिसके बाद भक्तों के लिए कपाट खोल दिए जाते हैं.
संध्या आरती और रात्रि शयन
रामलला दोपहर ढाई बजे से शाम साढ़े 6 बजे तक भक्तों को लगातार दर्शन देते हैं. इसके बाद शाम 6:30 बजे संध्या आरती होती है. इस दौरान थोड़ी देर के लिए उन्हें विश्राम दिया जाता है. फिर भोग लगाया जाता है. जिसके बाद फिर भक्तों का दर्शन करने का सिलसिला शुरू हो जाता है. रात करीब 8:00-8:30 बजे शयन आरती होती है. इसके बाद भगवान राम को रोज चारों वेद और सुनाए जाते हैं. रामलला को शयन के लिए उनके अनुकूल वस्त्र पहनाया जाता है. इस दौरान मौसम के हिसाब से उनका बिस्तर लगाया जाता है. फिर रामलला शयन करते हैं. रामलला के पास पीने का पानी रखा जाता है. भगवान राम को शयन कराकर बाहर जाते समय अर्चक रामलला के द्वारपाल से बोलकर जाते हैं कि उनका ध्यान रखिएगा.
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