Ramlala Pran Pratishtha News: आज का दिन हर सनातनी के लिए ऐतिहासिक रहने वाला है. हो भी क्यों ना जब 500 सालों की तपस्या के बाद एक बार फिर मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम अवधपुरी पधार रहे हैं. आज सुबह से ही गली, चौराहा, घर और वाहन पर रामलला के ध्वज दिख रहे हैं. हर किसी के जुंबा से जय श्री राम जय श्री राम का नारा निकल रहा है. हर रामभक्त आज भावुक हैं. आज 500 साल के बाद ऐसा दिन आया है. हमारे पहले की पीढ़ियां इस दिन का इंतजार करते-करते चली गईं. आज हम भाग्यशाली हैं जो भारत के राजा राम हमारे सामने अपने मंदिरनुमा महल में विराजमान हो रहे हैं.
आज राम नगरी अयोध्या की शोभा देखते बन रही है. देखने के बाद ऐसा एहसास हो रहा है कि मानो एक बार फिर त्रेताकाल और वही राम राज्य आ गया है. आज अयोध्या नगरी की तारीफ जितनी की जाए शायद उतनी कम है. राम नगरी का वर्णन शब्दों से करना तो मुश्किल है. भगवान श्री रामलला सरकार की प्राण प्रतिष्ठा आज बेहद शुभ अभिजीत मुहूर्त मृगषिरा नक्षत्र में होगी.
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त
22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अभिजीत मुहूर्त मृगषिरा नक्षत्र में होगी. आज अभिजीत और मृगषिरा नक्षत्र जैसे दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जो कि बहुत ही शुभ होता है. आज पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि रहेगी और मृगशिरा नक्षत्र रहेगा. इसके अलावा सूर्योदय से लेकर पूरे दिन सवार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग रहेगा. दिन खत्म होने के साथ ही रवि योग भी लग जाएगा. इन सब योगों में अभिजीत मुहूर्त के अंतर्गत रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्य संपन्न किया जाएगा. आज चंद्रमा भी अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे. आज अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से शुरू होगा जो 12 बजकर 59 मिनट तक रहने वाला है. इसमें प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड का रहेगा. इस दौरान मृगशिरा नक्षत्र रहेगा.
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जानिए इस शुभ मुहूर्त धार्मिक महत्व
वैदिक हिंदू पंचांग के अनुसार, आज 22 जनवरी 2024, सोमवार के दिन पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है. इस द्वादशी को कूर्म द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि, इसी तिथि को भगवान श्रीहरि विष्णु ने कूर्म यानि कछुआ का अवतार लिया था और समुद्र मंथन में सहायता की थी. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार लेकर अपनी पीठ पर मंदार पर्वत को रखा था. इसके बाद ही समुद्र मंथन किया गया था. इसलिए भगवान विष्णु के कच्छप रूप को स्थायित्व का प्रतीक माना गया है.