Ravan Puja in India: शारदीय नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक मां शक्ति के उपासना के बाद दसवें दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था. इसलिए हर साल भगवान राम के भक्त इस तिथि के दिन विजयदशमी का पर्व मनाते हैं. इस दिन पूरे देश में असत्य पर सत्य की विजय को प्रदर्शित करते हुए रावण का पुतला दहन किया जाता है. लेकिन भारत में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जहां रावण की पूजा की जाती है और दशहरे के दिन यहां शोक मनाया जाता है. आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में जहां दशहरे के दिन रावण दहन नहीं बल्कि लंकापति नरेश रावण की पूजा अर्चना की जाती है.
रावण की आत्मा के शांति के लिए किया जाता है यज्ञ
उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में स्थित बिसरख नामक गांव रावण की जन्मभूमि है. बिसरख में रावण के अलावा कुंभकरण, सूर्पणखा और विभीषण ने भी जन्म लिया था. बिसरख गांव का नाम रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा. इस गांव में दशहरा के दिन रावण की मौत का शोक मनाया जाता है. रावण के पिता विश्वा ने यहां स्वयंभू शिवलिंग की खोज की थी. यहां नवरात्रि के दौरान रावण की आत्मा की शांति के लिए यज्ञ भी किया जाता है. नवरात्रि के दौरान शिवलिंग पर बलि भी दी जाती है. यहां दशहरे के दिन स्थानीय निवासी ऋषि विश्रवा और उनके पुत्र रावण की पूजा करते हैं.
मध्य प्रदेश का मंदसौर
पौराणिक मान्यतानुसार रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था. मान्यता है कि मंदसौर मंदोदरी का मायका है, इसलिए लंकापति रावण मध्य प्रदेश के दामाद हैं. मंदसौर में भारत का रावण का सबसे पहला मंदिर बना था. मंदसौर में रावण की रुण्डी नाम की विशाल प्रतिमा स्थापित है. रावण की मूर्ति के सामने महिलाएं घूंघट डालकर पूजा करती हैं. यहां दशहरे के दिन रावण का पुतला दहन करने की बजाय पूजा की जाती है. यही नहीं यहां तक की शादी या अन्य किसी शुभ कार्य में लोग रावण की मूर्ति की पूजा करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
महाराष्ट्र का गढ़चिरौली
महाराष्ट्र के गढ़चिरौल की गोंड जनजाति रावण के साथ-साथ उनके पुत्रों की भी देवताओं की तरह पूजा करते हैं. इन जनजाति के लोगों का मानना है कि रावण कोई बुरा इंसान नहीं था, बल्कि वह एक ज्ञानी ब्राम्हण था. इसलिए दशहरे के दिन महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में रावण की पूजा की जाती है.
हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में भी रावण को देवता की तरह पूजा जाता है. ऐसी मान्यता है कि रावण ने हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में ही रावण ने भगवान शंकर को अपनी कठोर तपस्या से प्रसन्न किया था. इसलिए कांगड के लोग रावण को भगवान शिव का परम भक्त मानते हैं और रावण की रोजाना पूजा करते हैं. साथ ही दशहरे के दिन शोक मनाते हैं.
राजस्थान का जोधपुर
राजस्थान के जोधपुर के मौदगील ब्राह्मण खुद को रावण का वंशज मानते हैं. ये लोग दशहरा के दिन रावण का पिंडदान व श्राद्ध करते हैं. इसलिए यहां दशहरे के दिन रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता और ना ही दशहरा का जश्न मनाया जाता है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न लेखों, पौराणिक कथाओं और स्थानीय मान्यताओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)