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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीवन दे करके परमात्मा ने हम सब पर बड़ा उपकार किया। हम सबको परमात्मा के प्रति प्रेम हो न हो लेकिन परमात्मा को हम सबके प्रति बहुत प्रेम है। फर्ज की बात सीखनी हो तो श्रीरामजी से सीखो और जीवन का आनंद सीखना हो तो श्रीकृष्ण से सीखो। “जीना अगर सीखना है तो श्रीकृष्ण की बांसुरी से सीख लो, लाख सीने में जखम हो गुनगुनाना सीख लो।”
धर्म संसार से मुख मोड़ लेने का नाम नहीं है, अध्यात्म का अर्थ जीवन से भागना नहीं है, जीवन में जागना है। संसार में समता रखो और श्रीकृष्ण में ममता रखो, संसार में समता हो और परमात्मा के प्रति ममता हो। इतनी सी बात है- जग की सेवा खोज अपनी, प्रीति प्रभु सो कीजिए। जिंदगी का राज है, यह जानकर जी लीजिए।। गुलाबों की बरसात नहीं होती, गुलाबों की तो खेती करनी पड़ती है।
यदि गुलाब चाहिए तो खेती करो, पुरुषार्थ करो। आसमान की ओर निगाहें उठाकर देखते रहोगे कि अभी फूलों की बरसात होगी तो नैराश्य ही हाथ लगेगा, जिंदगी आपकी समाप्त हो जायेगी। जो व्यक्त है इसका सहारा लेकर जो अव्यक्त है उसको जानने का प्रयास करो। गुरु तो प्रत्यक्ष है।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).