Santan Prapti ke Upay: महादेव का वह मंदिर, जहां महाशिवरात्रि का प्रसाद खाने से होती है संतान सुख की प्राप्ति!

Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Santan Prapti ke Upay: भारत के हर हिस्से में आपको भगवान शिव के कोई न कोई ऐसे प्राचीन मंदिर मिल जाएंगे, जहां आज भी चमत्कार देखने को मिलता है. भगवान शिव के भक्त अपनी अलग-अलग मनोकामना के लिए भोलेनाथ के अलग-अलग मंदिरों में दर्शन पूजन करते हैं. महाशिवरात्रि का त्यौहार नजदीक है. ऐसे में आज हम आपको भगवान शंकर के एक ऐसे रहस्यमयी मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां के महाशिवरात्रि का प्रसाद खाने से निसंतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में…

जानिए कहां है ये मंदिर

दरअसल, हम बात कर रहे हैं, मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में स्थित विरुपाक्ष महादेव मंदिर की. यह मंदिर देश ही नहीं दुनिया का सबसे अनोखा शिव मंदिर है, जिसे भूल भुलैया वाले शिव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जो निसंतान दंपत्ति महाशिवरात्रि के अगले दिन जाकर यहां का खीर प्रसाद ग्रहण कर लेता है, उसे योग्य संतान की प्राप्ति होती है.

जानिए मंदिर की खासियत

आपको बता दें कि विरुपाक्ष महादेव मंदिर रतलाम जिले के बिलपांक गांव में स्थित है. इस मंदिर की स्थापना परमार राजाओं ने की थी. इस मंदिर के चारों कोनों में चार मंडप बनाएं गए हैं. जिसमें भगवान गणेश, मां पार्वती और भगवान सूर्य की प्रतिमा स्थापित है. मंदिर में 64 खंभे, गर्भगृह, सभा मंडप और चारों तरफ चार सहायक मंदिर है. मंदिर के गर्भगृह में पीतल की चाद्दर से निर्मित 4.14 मीटर परिधि वाली जलाधारी व 90 सेमी ऊंचा शिवलिंग स्थापित है. विरुपाक्ष महादेव मंदिर को भूल भुलैय्या वाला शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस मंदिर में लगे खंभों की एक बार में कोई ठीक से गिनती नहीं कर सकता है.

जानिए क्या है मान्यता ?

रतलाम के बिलपांक गांव में स्थित विरुपाक्ष महादेव मंदिर पर महाशिवरात्रि के दिन हर भारी भीड़ लगता है. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो निसंतान दंपत्ति आकर महादेव का दर्शन पूजन करते हैं और अगले दिन बंटने वाले खीर प्रसाद को ग्रहण करते हैं, उन्हें महादेव की कृपा से अवश्य संतान सुख की प्राप्ति होती है.

खीर खाने से होती है संतान की प्राप्ति

रतलाम के बिलपांक गांव में स्थित विरुपाक्ष महादेव मंदिर पर महाशिवरात्रि के दिन हर साल मेला लगता है. भगवान विरुपाक्ष के दर्शन के लिए इस दिन देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं. ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन जो भक्त भी यहां आता है, वह खाली हाथ नहीं जाता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि जिस दंपत्ति की गोद सुनी है और संतान प्राप्ति के लिए परेशान है, वे यदि महाशिवरात्रि के दिन विरुपाक्ष महादेव का दर्शन कर यहां महाशिवरात्रि के अगले दिन बंटने वाले खीर प्रसाद को ग्रहण करती हैं, तो उन्हें अवश्य संतान की प्राप्ति होती है.

मनोकामना पूर्ण होने के बाद बांटी जाती है मिठाई

महाशिवरात्रि के दिन इस मंदिर में भव्य कार्यक्रम और पूजा यज्ञ का आयोजन किया जाता है. यज्ञ की आहुती महाशिवरात्रि के अगले दिन यानी अमावस्या के दिन की जाती है. आहुती के बाद यहां खीर प्रसाद का वितरण किया जाता है. वहीं, जिस दंपत्ति की मनोकामना पूर्ण हो जाती है यानी महादेव के आशीर्वाद से संतान सुख की प्राप्ति हो जाती है. वे दंपत्ति यहां माथा टेकने आते हैं और संतान के वजह के बराबर मिठाई तौलवाकर मंदिर में प्रसाद बटवातें हैं.

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(Disclaimer: इस लेख में दी गई समस्त जानकारी सामान्य मान्यताओं और मंदिर में प्रचलित किवदंतियों पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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