Saryu River Ayodhya: सरयू नदी का जल देवी-देवताओं पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता है, जानिए पौराणिक वजह

Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Saryu River Ayodhya: भगवान राम की नगरी श्रीधाम अयोध्या दुल्हन की तरह सज के तैयार है. हनुमान गढ़ी से लेकर मां सरयू के तट की छटा देखते बन रही है. अयोध्या को देख मानों एक बार फिर वही रामराज आ गया है जो त्रेताकाल था. राम नगरी की शोभा का शब्दों में वर्णन करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या की शोभा सरयू नदी और उनके घाटों के बगैर अधूरी है. भगवान राम के जन्मभूमि से जुड़ी सरयू नदी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पवित्र नदी सरयू का जल किसी देवी-देवता को नहीं चढ़ाया जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह…

सरयू नदी का महत्व

रामनगरी अयोध्या के उत्तर दिशा में उत्तरवाहिनी सरयू नदी बहती है. सरयू व गंगा का संगम श्री राम के पूर्वज भागीरथ ने करवाया था. इस नदी के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां ब्रम्ह मुहूर्त में स्नान करने मात्र से सभी तीर्थों में स्थानों का दर्शन करने का पुण्य मिलता है. सरयू नदी पवित्र नदी के रुप में पूजी जाती है. सरयू नदी में ही अयोध्या के गुप्तार घाट पर भगवान राम ने जलसमाधी ली थी.

किसकी पुत्री है सरयू नदी?

मानस खंड के अनुसार जिस प्रकार गंगा नदी को भागीरथी धरती पर लाए थे. उसी प्रकार सरयू नदी को भी धरती पर लाया गया था. सरयू नदी को भगवान विष्णु की मानस पुत्री कहा जाता है. इन्हें धरती पर लाने का श्रेय ब्रह्मर्षि वशिष्ठ को जाता है. धार्मिक ग्रंथों में सरयू को गंगा और गोमती को यमुना नदी का दर्जा दिया गया है.

पूजा पाठ में क्यों नहीं इस्तेमाल होता सरयू का जल?

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने अपनी त्रेताकालीन लीलाओं के उपरांत सरयू नदी में ही जल समाधि ली थी. सरयू नदी में ही भगवान राम ने अपनी लीला समाप्त की थी. भगवान राम के सरयू नदी में समाधि लेने के बाद भगवान शंकर सरयू जी पर क्रोधित हुए और उन्होंने सरयू को श्राप दे दिया की तुम्हारा जल न तो मंदिर में चढ़ाने के लिए और न ही किसी धार्मिक पूजा पाठ में इस्तेमाल किया जाएगा. तभी से सरयू नदी का जल देवी-देवताओं को नहीं चढ़ाया जाता है.

सरयू जी ने की भगवान शंकर से विनती

भगवान शिव के श्राप से श्रापित होने के बाद सरयू जी उनके चरणों में गिर पड़ी और उनसे बोलने लगी कि प्रभु इसमें मेरा क्या दोष है. यह तो विधि का विधान है. इसमें भला मैं क्या कर सकती हूं. मां सरयू के बार-बार विनती के बाद भगवान शंकर ने कहा कि मैं अपना श्राप तो वापस नहीं ले सकता लेकिन, बस इतना हो सकता है कि तुम्हारे जल में स्नान करने से लोगों के पाप धुल जाएंगे. लेकिन तुम्हारे जल का इस्तेमाल पूजा पाठ में नहीं किया जाएगा. यही वजह है कि सरयू नदी में स्नान करने से पाप धूल जाते हैं. लेकिन इनका जल पूजा पाठ जैसे धार्मिक कार्यक्रम में नहीं किया जाता है.

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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी पौराणिक मान्यताओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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