Sawan 2024: देवों के देव महादेव का पावन महीना सावन चल रहा है. महादेव को प्रसन्न करने के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि श्रावण माह में भगवान शिव की पूजा करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. पुराणों और शास्त्रों में सावन के सोमवार का विशेष महत्व बताया गया है. सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने के दौरान उनको बेलपत्र चढ़ाया जाता है.
भगवना शिव के शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के भी कुछ नियमों का वर्णन शास्त्रों में किया गया है. हर एक शिव भक्त को इसका पालन जरूर करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र चढ़ाने के दौरान गलती होने पर भगवान शिव नाराज हो सकते हैं. आइए आपको अपने इस लेख में बताते हैं भगवान शिव के शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका…
जानिए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका
सावन के पावन महीने में जब भी आप शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं इस बात का ध्यान रखें की वह हमेशा उल्टा हो. यानी चिकनी सतह वाला भाग शिवलिंग पर स्पर्श करते रहे. वहीं, बेल पत्र चढ़ाने के दौरान इस बात का भी ध्यान रखें कि बेलपत्र हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से बीच वाली पत्ती को पकड़कर चढ़ाना चाहिए.
यह भी पढ़ें: Air India ने अपने यात्रियों के लिए जारी की सूचना, इस शहर की सभी फ्लाइट्स हुई रद्द
कभी अशुद्ध नहीं होता है बेलपत्र
ऐसा वर्णन है कि बेलपत्र कभी भी अशुद्ध नहीं होता. महादेव को पहले चढ़ाया गया बेलपत्र दोबारा धोकर चढ़ाया जा सकता है. अगर आप भी भोले शंकर के शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ा रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आप बेलपत्र के साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं.
कितना बेलपत्र चढ़ाएं
बेलपत्र चढ़ाने के दौरान इस बात का खास ध्यान रखें कि अगर आपको शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना है, तो आप 11, 21, 51 या 101 बेलपत्र महादेव को चढ़ा सकते हैं. सब कुछ आपकी भक्ति पर निर्भर करता है. भोलेनाथ तो भाव के हैं, जो जैसे पूज ले. महादेव एक बेलपत्र से भी खुश हो जाते हैं.
ऐसे बेलपत्र चढ़ाने से बचें
दरअसल, देवों के देव महादेव को बेलपत्र काफी पसंद है. हालांकि, बेलपत्र चढ़ाने से पहले यह जरुर देखें कि बेलपत्र कहीं कटा फटा तो नहीं है. बेलपत्र की 3 पत्तियां ही महादेव को अर्पित की जाती है. खंडित बेलपत्र भगवान शिव को न चढ़ाएं.
(अस्वीकरण: लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष गणनाओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. द प्रिंटलाइंस इसकी पुष्टी नहीं करता है.)