Reporter
The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ब्रह्मधाम तीर्थगुरु श्रीपुष्कर सरोवर की वंदना- जो चंद्रमा के समान धवल एवं स्वच्छ है, जिसमें हाथी के सूंढ़ के समान आकार वाले जलचर जीवों के सञ्चरण करने के कारण फेन उत्पन्न होता रहता है, ब्रह्मा जी की उत्पत्ति की कथा वार्ता में संलग्न व्रत एवं नियम पारायण श्रेष्ठ भक्तजन जिसका सेवन करते हैं, ओंकार का जप करने वाले ब्रह्मा जी ने जिसे अपनी दृष्टि से पवित्र बना दिया है, जो स्नान पूजन के लिए अत्यन्त महान तथा अपनी विशालता के कारण अत्यन्त रमणीय है, वह पुष्कर तीर्थ का पापों को विनष्ट करने वाला जल, हम सबों को पवित्र बना दे।
पूरे ब्रह्माण्ड में तीन करोड़ दस हजार तीर्थ हैं और समस्त तीर्थों के गुरु श्री पुष्करराज जी हैं। धर्म शास्त्रों में पुष्कर जी की बहुत महिमा का वर्णन है। पुष्कर को तीर्थ में सर्वोपरि बताया गया है। गुरु हम अपने से श्रेष्ठ को ही बनाते हैं, सारे तीर्थों ने मिलकर पुष्कर जी को अपना गुरु बनाया इसका मतलब है, समस्त तीर्थो में पुष्करराज सर्वोपरि हैं। तीर्थयात्रा के क्रम में जब तक पुष्करराज का हम लोग दर्शन नहीं करते, तब तक हमारी तीर्थयात्रा सम्पूर्ण नहीं होती है। इसीलिए प्राचीनकाल से ही तीर्थयात्रा की शुरुआत, मध्य अथवा समापन पुष्कर से करते हैं। पुष्करराज में की गई संत सेवा, दान पुण्य का अनन्त फल प्राप्त होता है। पुराणों में वर्णन आया है कि किसी भी तीर्थ में किया गया सत्कर्म सौ गुना पुण्य देता है।
पुष्करराज तीर्थगुरु हैं, पुष्कर में किया गया सत्कर्म अनन्त गुना फल प्रदान करता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).