Shani Dev Puja Niyam: सनातन धर्म में शनिवार का दिन कर्माधिपति शनि देव को समर्पित है. ऐसी मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के आधार पर फल देते हैं. ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धापूर्वक शनिदेव की पूजा करता है उसे जीवन में सुख-समद्धि का वास होता है. वहीं, अगर शनि की अशुभ छाया किसी व्यक्ति पर पड़ जाए तो शनिदेव की कुदृष्टि उसे बरबाद कर देती है. शनि देव के प्रभाव को कम करने के लिए शनि पूजा को विशेष महत्व दिया गया है. शनिवार को पूजा करने के कुछ विशेष नियम होते हैं जिनका पालन करना आवश्यक होता है अन्यथा शनिदेव कुपित हो जाते हैं.
शनि देव की पूजा करने के खास नियम
लाल रंग का न करें प्रयोग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिदेव की पूजा में लाल रंग की सामग्री या फूल का प्रयोग भूलकर भी न करें. लाल रंग मंगल का कारक होता है और शनि मंगल शत्रु हैं. शनि देव की पूजा में काले या नीले रंग का ही इस्तेमाल शुभ माना गया है.
सामने दीपक न जलाएं
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिवार को शनि देव की पूजा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी दीपक शनि के सामने न जलाएं. इससे अशुभ परिणाम देखने को मिलते हैं. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं.
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तांबे के बर्तन का न करें प्रयोग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव की पूजा में भूलकर भी तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल न करें. तांबे का संबंध सूर्यदेव से है और शनि देव सूर्य को अपना शत्रु मानते हैं. इसलिए शनि देव की पूजा करते समय लोहे के बर्तनों का प्रयोग करें.
मूर्ति के सामने न खड़े हों
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव की पूजा करते समय उनकी मूर्ति के सीधे सामने न खड़े हों. ऐसी मान्यता है कि सामने खड़े रहने से शनि देव की कुदृष्टि मनुष्य के जीवन को नष्ट कर देती है. पूजा करते वक्त हमेशा मूर्ति के दाएं या बाईं ओर खड़े रहें.
दिशा का रखें ध्यान
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आप घर में शनि देव की पूजा कर रहे हैं तो दिशा का विशेष ध्यान रखें. हमेशा पश्चिम दिशा की तरफ बैठ कर शनि देव की पूजा करें.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)