भगवती का वह मंदिर जहां सदियों से जल रही है दिव्‍य ज्योति, रहस्य जान आप भी जाएंगे चौंक

Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि की रौनक घर, मंदिर से लेकर बाजारों में भी देखने को मिल रही है. नवरात्रि के नौ दिनों तक मां जननी के नौ स्वरूपों की अराधना की जाती है. भारत में कुल 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं, जहां देश-विदेश से श्रद्धालु मां दुर्गा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इन शक्तिपीठों में मां ज्वालामुखी को सर्वोपरि माना गया है. विश्वप्रसिद्ध इस शक्तिपीठ में मां दुर्गा ज्योति के रूप में दर्शन देती हैं. आइए आपको बताते हैं चमत्कारी ज्योतियों का रहस्य…

मां सत्ती की गिरी थी जीभ 

माता श्री ज्वालाजी का अनूठा मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में स्थित है. माना जाता है कि, जब शंकर भगवान, सत्ती मां को पूरे ब्रह्मांड में घूमाने लगे उस दौरान माता की जीभ इसी जगह पर गिरी थी. जिससे मां ज्वाला चमत्कारी ज्योति के रूप में यहां भक्तों को दर्शन देती हैं. देवी के मंदिर के गर्भ गृह में सात अखंड ज्योतियां साक्षात विराजमान हैं. इस मंदिर को लेकर एक ये भी धारणा है कि, जब ज्वाला देवी प्रकट हुईं थीं, उस वक्त सबसे पहले ग्वालों को पहाड़ी पर उनके साक्षात दर्शन हुए थे. ज्वाला मंदिर का प्राथमिक निर्माण राजा भूमिचन्द्र ने करवाया था.

अकबर भी हो गया था भक्त

कहा जाता है कि, सम्राट अकबर भी मंदिर के चमत्कारों को सुनकर मां ज्वाला की परीक्षा लेने पंहुचा था. उसने मंदिर में विराजमान ज्योतियों को बुझाने के लिए नहर का निर्माण करवाया और सेना से पानी डलवाना शुरू कर दिया, लेकिन देवी के अलौकिक चमत्कार से ज्योतियां नहीं बुझीं. जिसके बाद अकबर भी माता का भक्त हो गया और सोने का छत्र चढ़ाया था, लेकिन माता ने उसके छत्र को खंडित कर दिया. जिसके बाद राजा काफी उदास हुआ और उसके मन में हिंदू देवी-देवताओं के चमत्कार को लेकर श्रद्धा पैदा हुई. आज भी अकबर का छत्र दर्शनार्थ के लिए मंदिर में मौजूद है.

गर्भ गृह के अंदर हैं 9 ज्योतियां

इस मंदिर से जुड़ा एक रहस्य है जिसके बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है. इस मंदिर में बगैर तेल और बाती के सदियों से ज्योत जल रही है. यहां पर 9 पावन ज्योति जल रही हैं. मंदिर में जल रही 9 ज्योत माता के 9 स्वरूपों का प्रतीक मानी जाती हैं

नौ ज्वालाओं का महत्व
  • 1. ज्वाला जी मंदिर में देवी की पवित्र ज्योति को नौ अलग-अलग तरीकों से देखा जा सकता है. ऐसा कहा जाता है कि नवदुर्गा 14 भवन की रचयिता हैं, जिनके सेवक सत्व, रजस और तमस हैं.
  • 2. चांदी के गलियारे में दरवाजे के सामने जलती हुई मुख्य लौ महाकाली का रूप है. यह ज्योति ब्रह्म ज्योति है और भक्ति और मुक्ति की शक्ति है. मुख्य ज्योति के आगे महामाया अन्नपूर्णा की लौ है जो भक्तों को बड़ी मात्रा में अन्न प्रदान करती हैं.
  • 3. दूसरी तरफ देवी चंडी की ज्वाला है, जो दुश्मनों की संहारक है.
  • 4. हमारे सभी दुखों को नष्ट करने वाली ज्वाला हिंगलाजा भवानी भी यहां मौजूद हैं.
  • 5. पांचवीं ज्योति मां विध्यवासिनी की है जो सभी दुखों से छुटकारा दिलाती हैं.
  • 6. महालक्ष्मी की ज्योति, धन और समृद्धि का सबसे अच्छा ज्योति, ज्योति कुंड में स्थित है.
  • 7. ज्ञान की सर्वश्रेष्ठ देवी, देवी सरस्वती भी कुंड में मौजूद हैं.
  • 8. बच्चों की सबसे बड़ी देवी अंबिका को भी यहां देखा जा सकता है.
  • 9. सभी सुख और लंबी आयु देने वाली देवी अंजना भी इस कुंड में मौजूद हैं.
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