Shree Pitambara Peeth: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो गई है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी शक्तिपीठों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. इस साल शक्ति के उपासना का महापर्व यानी नवरात्रि ऐसे समय में पड़ी है, जब हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो गए हैं. जबकि महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले हैं. इसलिए जाहिर सी बात है कि इस बार आदि शक्ति मां भगवती के दरबार में आम भक्तों के साथ-साथ राजनीतिक दल के नेता लोग भी हाजिरी लगाने जाएंगे और चुनाव में विजय के लिए राजनीतिक दल मां से अर्जी भी लगाएंगे.
ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मां भगवती के ऐसे दिव्य दरबार के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से राजगद्दी हासिल होती है. आइए जानते मां के इस पवित्र शक्तिपीठ के बारे में…
जानिए कहां है यह मंदिर
दरअसल, हम मां भगवती के जिस मंदिर की बात कर रहे हैं, वह मध्य प्रदेश के दतिया जिले में पीतांबरा सिद्धपीठ के नाम से प्रसिद्ध है. यहां आज भी चमत्कार देखने को मिलता है. इस चमत्कारी मंदिर की स्थापना 1935 में, स्वामीजी द्वारा की गई थी. मां पीतांबरा सिद्धपीठ में दर्शन के लिए कोई दरबार नहीं सजता है बल्कि एक छोटी सी खिड़की से भक्त उनके दर्शन करते हैं. नवरात्रि के समय में यहां भक्तो की भारी भीड़ लगती है.
चमत्कारी है मां का स्वरुप
पीतांबरा माता का स्वरुप आज भी किसी चमत्कार से कम नहीं है. इस सिद्धपीठ में भक्त तीन पहर में मां पीतांबरा के 3 अलग-अलग स्वरूपों का दर्शन करते हैं. हर पहर में मां अपना स्वरूप बदलती रहती हैं. मां के स्वरूप बदलने की चमत्कारी घटना के चलते पीताम्बरा देवी की महिमा और भी अधिक बढ़ जाती है.
पूजा करने से हासिल होती है राजगद्दी
मां पीतांबरा के अलग-अलग स्वरूपों को शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. इसके अलावा जो भी भक्त राजसत्ता की इच्छा रखते हैं, वो इस सिद्धपीठ में गुप्त पूजा करवाते हैं. इसलिए मां पीतांबरा को राजसत्ता की भी देवी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी राजनीतिक इंसान सत्ता की चाह में मां पीतांबरा के दरबार में गुप्त पूजा करवाते हैं, उन्हें राजगद्दी अवश्य हासिल होती है. यहां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी हो या फिर राजमाता विजयाराजे सिंधिया ही क्यों न हो, सभी ने मां पीतांबरा के दरबार में आकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया. आज भी समय-समय पर यहां बड़े नेता और अभिनेता भी आते रहते हैं.
मां की पूजा से होती है दुश्मनों की हार
इस मंदिर को लेकर एक और धारणा है कि, जब भी देश पर कोई विपत्ति आती है तो, मंदिर में मां पीतांबरा के स्वरूप, बगुलामुखी देवी की गुप्त पूजा की जाती है. कहा जाता है कि, भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी बगलामुखी देवी की गुप्त पूजा हुई थी. जिसके बाद दुश्मनों की हार हुई थी. आज भी मंदिर के परिसर में भारत-चीन युद्ध के दौरान गुप्त साधना के लिए बनाई गई यज्ञशाला स्थापित है.
जानिए क्या है मान्यता ?
मां पीतांबरा के मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर कोई पुकार कभी अनसुनी नहीं जाती. राजा हो या रंक, मां के नेत्र सभी पर एक समान कृपा बरसाते हैं. मां पीतांबरा के दर्शन करने मात्र से सभी की मनोकामना पूरी होती है. भक्तों को सुख समृद्धि और शांति मिलती है, यही वजह है कि मां के दरबार में दूर दूर से भक्त आते हैं, मां की महिमा गाते हैं और झोली में खुशियां भर कर घर ले जाते हैं.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी स्थानीय मान्यताओं और प्रचलित किवदंतियों पर आधारित है. The Printlines किसी भी बात की पुष्टि नहीं करता है.)