Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीरामचरितमानस रूपी सरोवर का चौथा घाट प्रपत्ति का है। यहां श्रीगोस्वामी तुलसीदास जी जैसे संत वक्ता हैं। सामान्य लोग उनके श्रोता समुदाय में बैठे हैं। इन चारों घाटों पर श्रीरामकथा आनंदपूर्वक हो रही है। प्रथम घाट पर परब्रह्म की दिव्य कथा और दूसरे घाट पर सद्गुणों के खान की कथा है। कर्म के घाट पर श्रीरामचंद्रजी को आदर्श पुरुष के रूप में माना गया है। इस घाट पर जो श्रीरामजी को अपना आदर्श मानते हैं।
वे इस घाट पर श्रीरामकथा का आनंद लेते हैं। उनकी दृष्टि से जीवन के समस्त सदगुण की एक सूची बनाएं।श्रीरामचंद्रजी में वे सभी सदगुण हैं। राम जी का जीवन सभी सद्गुणों की परमावधि है। ‘रामो विग्रहवान् धर्मः ‘ ये वशिष्ठ मुनि के शब्द हैं। इसी कारण चतुर्थ घाट प्रपत्ति (शरणागति) का है। अपना जीवन परिवर्तित करने, पापों का प्रक्षालन करने की लिए भगवान हमारी सहायता करें।
‘मैं पापी हूं’ केवल इस कारण मुझे भगवान अपने से दूर करते होंगे तो ऐसे ईश्वर केवल पुण्यवानों के, विद्वानों के अथवा बड़े लोगों के ही हुए। इसी कारण प्रपत्ति के घाट पर भक्त भगवान से प्रार्थना करता है- भूल दिखाकर उसे मिटाकर अपना प्रेम प्रदान करो। हे समर्थ, हे करुणासागर, बिनती यह स्वीकार करो।। हमें एक करुणासागर की भी आवश्यकता है, जो हमारी दीनता का विचार करें। अपनी इस भूमिका को भगवान ने भगवद्गीता में स्पष्ट किया और भगवान कहते हैं- मैं इस संसार का माता और पिता हूँ। मैं इस संसार का उद्धारक हूँ। यह शरणागति का घाट है।
ये चार घाट ही श्रीरामकथा की ओर देखने के चार दृष्टिकोण हैं। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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