Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान श्रीराम स्वयं भगवान हैं। मनुष्य रूप में अवतरित होते हुए भी वे दिव्यता और अलौकिकता से परिपूर्ण हैं। उनके जीवन की प्रत्येक घटना उनकी विशाल हृदयता और महान् उदारता का परिचायक है। उनके जीवन में विशेषता यह है कि उनमें सम्पूर्ण मर्यादा का दर्शन होता है।
वे समयानुसार अपनी दैवीशक्ति का भी अवलम्बन कर लेते हैं। भगवान श्रीराम कहते हैं कि मेरे लिए संसार में कुछ कर्तव्य न रहते हुए भी मैं कर्तव्य करता हूं, धन्य है श्रीराम। बिना आपके कर्तव्य धर्म के महत्व को कौन मानता? समग्र मानवता आपके महान वचनों को भूलकर ही आज अंधकार के ग्रत में पड़ी हैं।
श्री रामचरितमानस साक्षात् ईश्वर की दिव्य वाणी है। भगवान शिव की दिव्य वाणी है। श्रीराम धर्म के प्राण स्वरूप हैं। इसकी महिमा अपार है। शेष-गणेश भी इनकी महिमा पूरी तरह से वर्णन नहीं कर सकते। रामायण एक परम रहस्यमय ग्रंथ है, इसमें सम्पूर्ण वेदों का संग्रह किया गया है। इसलिए रामायण भगवान शिव की दिव्य अमृतवाणी से कहने पर सर्व समर्थ एवं सर्वविध कल्याणकारिणी एवं सर्वथा आशीर्वाद स्वरुप है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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