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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान के भक्त बनो- श्रीमद्भागवत महापुराण आपको भक्त बनने का उपदेश देता है। वह कहता है- भक्त बनने के लिए तुम्हें कपड़े बदलने या घर छोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है। जीवन में यदि भक्त के गुण उतरें तो मनुष्य अपने आप भक्त बन जाता है। नरसी मेहता, मीराबाई, तुकाराम आदि घर में ही रहते थे। साधू का वेश भी नहीं पहनते थे, किंतु कौन कह सकता है कि ये भगवान के भक्त नहीं थे?
भागवत तो कहता है कि प्रभु के द्वारा दिए गए घर में विवेक पूर्वक रहोगे तो बिना कपड़ा कपड़ों के बदले ही भक्त बन सकोगे। हृदय शुद्ध बनाओगे तो ही भक्त हो सकोगे। केवल कपड़े बदलने से तो कभी भी भक्त नहीं हो सकोगे। मन, वचन और कर्म से जो पाप नहीं करता, वही भक्त है। कोई व्यावहारिक काम करते समय भी जो मन को भगवान में लगाकर रखता है, वही भक्त है। जिसको दूसरे में गुण ही दिखाई देते हैं, वही भक्त है। ऐसे गुण यदि आपके जीवन में उतरेंगे तो संत और सर्वेश्वर आपसे मिलने के लिए सामने आएंगे।
मन अति शुद्ध हो तभी प्रभु-मिलन की उत्कंठा जागृत होती है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).