मनुष्य की अज्ञान रूपी ग्रंथि को खोलने की कुंजी है श्रीमद्भागवत ग्रंथ: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानव का जब भाग्य उदय होता है, तब उसे संतों का सानिध्य प्राप्त होता है और संत अपनी कृपा से मानव के भाग्य पर छाये अंधकार को ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित कर देता है। देव योनि के गण मानव कल्याण के लिये इस भौतिक जगत में सामान्य मानव के रूप में जन्म लेकर ईश्वर आराधना से संत पद प्राप्त करते हैं और अपने जनकल्याण के लक्ष्य को पूरा करते हैं।
हम माया भ्रमित जन संत की लीला के रहस्य को जान नहीं पाते। परन्तु संत वाणी और कृपा प्रसाद से उनके देवत्व का भान धीरे-धीरे होने लगता है और यहीं से मानव का मैं कौन हूं? ईश्वर का क्या स्वरूप है? और माया का क्या है? यह जिज्ञासा पैदा होती है और इसी के साथ उसकी आध्यात्मिक यात्रा प्रारंभ हो जाती है। श्रीमद्भागवत एक महान ग्रंथ है, क्योंकि इसमें ईश्वर की जीव पर पूर्ण कृपा का उल्लेख है। यह मनुष्य की अज्ञान रूपी ग्रंथि को खोलने की कुंजी है।
इस ग्रंथ में ईश्वर का प्रेम, भक्ति, ज्ञान, शक्ति, कृपा शक्ति, समीपता, मधुरता स्पर्शता, जीवों के प्रति दया का भाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जैसे बहेलियों को भी भगवान ने बैकुंठ वास दिया है। ईश्वर की कृपा से ही जीव की सत्ता है,इसका भी भागवत में दर्शन होता है।जिस प्रकार आंख में अंजन लगाने से दृष्टि में बल आता है एवं दृष्टि छोटी-छोटी वस्तुओं को देखने में सक्षम हो जाती है, उसी प्रकार सद्गुरु कृपा का अंजन जब मन की आंखों पर लगता है तो मन का मैल दूर होकर जीवन शांतिमय, बुद्धि निर्मल और मन पवित्र हो जाता है।
जो मनुष्य प्रतिदिन भागवत पुराण का पाठ करता है, उसे एक-एक अक्षर के उच्चारण के साथ कपिला गौ दान देने का पुण्य होता है। जो प्रतिदिन भागवत के आधे श्लोक या चौथाई श्लोक का पाठ अथवा श्रवण करता है, उसे एक हजार गोदान का फल मिलता है। जो प्रतिदिन पवित्रचित्त होकर भागवत के एक श्लोक का पाठ करता है, वह मनुष्य अठारह पुराणों के पाठ का फल पा लेता है।जिसके घर में एक श्लोक, आधा श्लोक अथवा श्लोक का एक ही चरण लिखा रहता है, उसके घर में भगवान राधा-कृष्ण नित्य निवास करते हैं।
अतः धर्मानुरागी बंधुओं भागवत सुनना पाठ करना, प्रभु के चरित्र को सुनना, उनके गीत गाना, उनका भजन करना हमारी-आपकी दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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