Somvar Vrat Udyapan: उद्यापन के बिना नहीं मिलेगा सोमवार व्रत का पूर्ण फल, जानिए आसान विधि

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Somvar Vrat Udyapan: सनातन धर्म में हर एक दिन का विशेष महत्‍व होता है. सप्‍ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. सोमवार का दिन देवाधिदेव महादेव की पूजा के लिए अति शुभ माना जाता है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्‍त सोमवार का व्रत रखते हैं.

धार्मिक मान्यता के अनुसार, सोमवार का व्रत रखने से साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्‍ट दूर होते हैं साथ ही मनोकामाएं शीघ्र ही पूरी होती है. सोमवार को व्रत खासकर कुंवारी कन्‍याएं सुयोग्‍य वर की कामना लेकर करती है. सोमवार व्रत शुरू करने और उद्यापन करने के नियम बताएं गए हैं. ऐसे में आइए जानते हैं सोमवार व्रत का उद्यापन करने का सही और आसान विधि क्या है.

कब करें उद्यापन

सोमवार व्रत का उद्यापन आप किसी भी महीने के सोमवार को कर सकते हैं. मान्‍यता है कि सोमवार व्रत के उद्यापन के लिए सावन, कार्तिक, वैशाख, ज्‍येष्‍ठ और मार्गशीष माह का सोमवार बेहद शुभ है.

सोमवार व्रत उद्यापन विधि

-धार्मिक मान्यता के अनुसार जिस दिन सोमवार व्रत का उद्यापन करना होता है, उस दिन भक्त को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए. स्‍नानादि से निवृत होकर सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए.  इसके बद पूजा स्थल को जल या गंगाजल से पवित्र किया जाता है.

-इसके बाद एक पूजा की चौकी पर नया सफेद या लाल वस्त्र बिछाया जाता है. फिर उस पर गंगाजल छिड़ककर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा रखी जाती है.

-पूजा स्थान पर पूजन की सामग्री रखकर पूर्व की ओर मुंह करके स्वच्छ आसन पर बैठा जाता है. इसके बाद आसन शुद्धि और शरीर शुद्धि किया जाता है.  इसके बाद पूजा में भगवान शिव और मां पर्वती को पुष्‍प का माला चढ़ाएं. फिर उन्हें पंचामृत का भोग लगाएं. साथ शिवलिंग पर गंगाजल, जल, दूध, दही, शहद अर्पित करें.

-इसके बाद भोलेनाथ को भांग, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित करें. फिर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें. पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को खिलाएं. इसके बाद अपने क्षमता अनुसार दान दें.

-आरती के बाद पूजा स्थल पर मौजूद भक्तों और घर के सदस्यों के बीच प्रसाद बांटे. फिर जो व्रत का उद्यापन करते हैं, वे भोजन ग्रहण कर सकते हैं. हालांकि सोमवार व्रत उद्यापन के दिन पूजा संपन्न होने के बाद दिन में सिर्फ एक बार ही भोजन करना चाहिए. व्रती अगर इस दिन नमक का सेवन ना करें तो और भी अच्छा होता है.

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