Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान के भक्तों की गति मति का अद्भुत वर्णन श्रीमद्भागवत महापुराण में किया गया है. आओ नंदलाल तरस रहे नैना, दायित दृश्यतां. हे प्राण प्यारे! कभी एक बार तो दिख जाओ! कन्हैया को ढूंढने के लिए आपके जीवन में कभी पागलपन आया, मीरा की तरह? मीरा के जीवन में यदि पागलपन आया, तब वह मर कर भी अमर हो गई और घर-घर में आज मीराबाई के गीत गाये जाते हैं. ब्रज के भक्त कृष्ण के बिरह में यदि प्रेम में पागल हुए,
तब वे ऋषियों के भी गुरु बन गये, आचार्य बन गये. भागवत में रासलीला के प्रसंग में भगवान श्री कृष्ण के अंतर्धान होते ही समस्त भक्त व्याकुल हो गये, जैसे कोई मछली बिना पानी के तड़प जाती है, जैसे कोई हाथी का बच्चा हाथियों के झुंड से अलग हो जाये और चिंघाड़ते हुए चारों तरफ व्याकुल होकर दौड़ रहा हो. जैसे मृग चारों तरफ से बहेलियों से घिर गया हो और प्राण बचाने के लिए भाग रहा हो. ऐसे ही ब्रज के भक्त व्याकुल हो गये और वे व्याकुलता की इस सीमा पर पहुंच गये कि- पागलपन सवार हो गया.
वृक्षों से पूछते हैं, पशु पक्षियों से पूछते हैं, चम्पा, अशोक आदि से पूछते हैं- आपने हमारे श्याम सुंदर को देखा है. यही भगवत प्राप्ति की स्थिति है. किसी भक्त की भगवत प्राप्ति की व्याकुलता ही उसे भगवत मिलन कराने वाला है. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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