सद्गुरु की कृपा से ही बुद्धि में आती है स्थिरता: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सद्गुरु की महिमा- जो प्रभु के पास ले जाता है, वह ही श्रेष्ठ सद्गुरु है। सद्गुरु की कृपा से ही बुद्धि में स्थिरता आती है। सद्गुरु की शरण प्रभु के चरणों में पहुंचाती है। जो स्वयं मोह में फंसा हो, वह दूसरे को मोह से कैसे छुड़ा सकता है? जो वाणी के बजाय व्यवहार से समझाए, वही सतगुरु है। संत ही सर्वेश्वर के रूप की पहचान कराते हैं।
गुरु वही जो विपिन बसावै,
गुरु वही जो संत सेवावै।
गुरु वही जो हरिहिं मिलावै,
इन करनी बिनु गुरु न कहावै।।

प्रसाद-बुद्धि की महिमा-

प्रत्येक वस्तु परमात्मा को अर्पित करो और फिर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करो। हम जिसका उपयोग करते हैं, जिसके आधार पर जीवित रहते हैं, वह सब परमात्मा का है। प्रभु जिस स्थिति में रखें, उसी में संतोष मानोगे तो ही सुखी हो सकोगे। प्रभु की इच्छा में आप अपनी इच्छा मिला देंगे तो भक्ति बाढ़ के पानी की तरह बढ़ेगी।सुख को प्रभु की कृपा समझने वाला तो साधारण भक्त है। अनुकूलता हो या प्रतिकूलता, दोनों में ईश्वर का उपकार ही मानो। प्रभु के द्वारा दी गई परिस्थिति को स्वीकार न करना प्रभु के प्रति नाराजगी प्रकट करना है

मृत्यु को सुधारो-

मृत्यु का दिन ईश्वर को अपना हिसाब देने का दिन है। भक्ति से ही मृत्यु सुधरती है। समय का नाश सर्वनाश है। जीवन की समाप्ति पर ही सत्कर्म की समाप्ति होती है। मृत्यु निश्चित है। हमेशा मृत्यु की थोड़ी-थोड़ी तैयारी करते रहो। प्रभु के साथ प्रीति बाँधो, मृत्यु का डर नष्ट हो जायेगा। प्रभु का नाम स्मरण, मरण को सुधारता है। मृत्यु के बाद तो केवल जीवन में किया गया प्रभु स्मरण एवं सत्कर्म ही साथ जाता है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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