झांसी का वो मंदिर जहां वीरांगना लक्ष्मी बाई करती थी जलाभिषेक, जानिए 600 साल पुराने इस मंदिर का रहस्य

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Jhansi News, विवेक रजौरिया: आज देश भर में महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जा रहा है. देश भर के शिवालयों में इस वक्त भक्तों की लंबी कतार देखने को मिल रही है. इन सब के बीच आपको हम एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो काफी महत्व रखता है. आज हम बात करेंगे झांसी के एक ऐसे मंदिर जो धार्मिक और राजनीतिक दोनों रूप में महत्वपूर्ण है.

दरअसल, उत्तरप्रदेश के झांसी को बुंदेलखंड की काशी के भी नाम से भी जाना जाता है. झांसी में अनेकों शिवालय हैं. इन्हीं में से एक ऐसा शिवालय भी है जो धार्मिक और राजनीतिक दोनों रूप में महत्वपूर्ण है. यह शिवालय मढ़िया महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है, जो अपने वैभव के लिए मशहूर है. कहा जाता है कि मढ़िया महादेव मंदिर 600 साल से भी पुराना है. इस मंदिर को गोसाइयों द्वारा बनाया गया था.

बता दें कि 15वीं सदी में बना यह मंदिर आज भी सुरक्षित है. शुरुआत में यहां छोटे बड़े मिलाकर 27 मंदिर बनाए गए थे. हालांकि वर्तमान में सिर्फ 17 मंदिर ही बचे हैं. इनमें से सबसे महत्वपूर्ण है मढ़िया महादेव मंदिर. सावन में कांवरिये बेतवा नदी से जल लाकर यहां चढ़ाते हैं. आज शिवरात्रि के महापर्व पर इस मंदिर में भक्तों की लंबी कतार लगी है.

लक्ष्मीबाई करने आती थीं जलाभिषेक

15वीं शताब्दी में इस मंदिर को बनाया गया था. पहले गोसाइयों ने इस मंदिर का रखरखाव किया. उसके बाद राजा छत्रसाल द्वारा इस मंदिर की देखरेख की गई थी. 17वीं शताब्दी में मराठा राजवंश ने झांसी पर राज करना शुरू किया. मराठा राजाओं ने भी मढ़िया महादेव मंदिर की भव्यता बनाए रखी. महारानी लक्ष्मीबाई तो इस मंदिर में अक्सर जलाभिषेक करने के लिए भी आया करती थीं. अंग्रेजों के समय में इस मंदिर की अनदेखी होती रही जिसकी वजह से यहां अतिक्रमण हो गया.

2013 में कराया गया अतिक्रमण मुक्त

जानकारी के अनुसार मंदिर के नीचे बने तहखानों में धीरे धीरे मुस्लिम परिवारों ने रहना शुरू कर दिया था. उनकी कई पीढ़ियां यहां रह चुकी थी. एक ऐसा भी समय आया जब इस मंदिर में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए पूरी तरह बंद हो गया था. इसके बाद भक्तो और कई जनप्रतिनिधियों ने मढ़िया महादेव मंदिर को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए आंदोलन शुरू किया. साल 2013 में मढ़िया महादेव मंदिर को अतिक्रमण मुक्त कराया गया.इसके बाद यह मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए फिर से खोल दिया गया.

जब अखिलेश ने योगी आदित्यनाथ को नहीं जाने दिया

मढ़िया महादेव मंदिर का राजनीतिक इतिहास भी कापी दिलचस्प है. एक समय था जब इसी मंदिर की वजह से मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव में ठनी थी. दरअसल, वर्ष 2013 में योगी आदित्यनाथ मढ़िया महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए निकले थे, लेकिन अखिलेश सरकार द्वारा उन्हें कानपुर में ही रोक लिया गया था. उस समय यह मामला काफी सुर्खियों में रहा. इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने 2022 विधानसभा चुनावों के दौरान झांसी में जब रोड शो किया तो उसकी शुरुआत भी मढ़िया महादेव मंदिर से ही की थी.

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