Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रामायण के इस भंडार में बड़े-बड़े तपस्वी उपदेश प्राप्त करते हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि समग्र मानवता का कल्याण हो सकता है तो इसी ग्रंथ में बताये मार्ग पर चलने से, अन्यथा कदापि नहीं। श्री रामचरितमानस जी ही गिरे हुए मानवता को उन्नति के शिखर पर पहुंचायेंगे। श्री रामायण जी के धर्मज्ञान का प्रसंग यह सिद्ध करता है कि श्री राम स्वंय भगवान के ही अवतार हैं।
धर्म के ह्रास होने पर ईश्वर को अवतार ग्रहण करने की आवश्यकता पड़ती है और इसी की पूर्ति हेतु भगवान श्री राम जी ने अवतार लिया था। आविर्भाव से लेकर अंतर्धान के समय तक श्री राम जी की सभी लीलाओं पर दृष्टिपात करने से ज्ञात होता है कि उनका सम्पूर्ण जीवन भक्ति कर्म और ज्ञानमय था। ” कर्म ही ब्रह्म है ” यह प्रभु का आदेश है।प्रभु कर्म में इतने तल्लीन रहते थे जिसकी तुलना किसी से नहीं हो सकती।
श्रीरामजी का जीवन अनेक विचित्र लीलाओं से परिपूर्ण है, किन्तु रामायण के अंतर्गत उनका चमत्कार विशेष रूप से प्रस्फुटित हुआ है। रामायण के अंतर्गत ही उनके शौर्य-वीर्य का प्रशस्त दिग्दर्शन है। उसी के ओट में श्रीरामजी ने अनेक पराक्रम का ऐश्वर्य दिखलाया है। सत्य, धर्म और न्याय की विजय यथेष्ट रूप से यहीं पर दिखाई पड़ती है। यूं तो जीवन के हर एक प्रसंग पर प्रभु ने धर्म की विजय करायी। रामायण के कारण ही वे भक्तजनों के अधिक प्रिय हो गये।
रामायण का सम्पूर्ण चरित्र भगवान की मंगलमय लीला का दर्शन है। किस स्थल पर कैसी रीति काम में लायी जानी चाहिए इसे श्रीराम ने ही बताते हैं। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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