Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सच्चे भक्त का हृदय प्रभु के प्रति श्रद्धा एवं प्राप्त परिस्थिति में संतोष से लबालब भरा रहता है। किसी भी बात का असंतोष उसके अंतर को पीड़ित नहीं करता। किसी भी वस्तु का अभाव उसके हृदय के भाव को बदल नहीं सकता।
वह तो यह मानता है कि मेरे प्रभु की मुझ पर अपार कृपा है, इसीलिए मुझे अपनी योग्यता से अधिक प्रदान किया है, यह मेरा अहो भाग्य है और अगर मेरा प्रभु मुझे दुःख प्रदान करता है तो भी वह मेरी भलाई ही करता है। वह तो प्रभु के प्रत्येक विधान को प्रेम की नजर से ही देखा है।
उसके मन में पुत्र न हो तो भी आनंद, पुत्र हो तो भी आनंद, वहां तो हर परिस्थिति में आनंद ही आनंद है। “यूँ भी वाह-वाह और यूँ भी वाह-वाह ” – यही सच्चे भक्त का जीवन-मंत्र हो सकता है। नई बात अगर योग्य लगे तो विवेक पूर्वक अपनाओ, किंतु पुराने को एकदम छोड़ मत दो।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
इसे भी पढें:- Bangladesh: बांग्लादेश की सेना का इस्लामीकरण! महिला सैनिक अब हिजाब में आएंगी नजर