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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, न यत्र वैकुण्ठकथासुधापगा, न साधवो भागवतास्तदाश्रयाः। न यत्र यज्ञेशमखा महोत्सवाः, सुरेशलोकोऽपि न वै स सेव्यतां।। भारत की भूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है- श्रीमद् भागवत महापुराण में देवता का रहे हैं- स्वर्ग लोक रहने लायक नहीं है।
क्यों? बोले यहां भगवान की कथा सुधा सरिता परवाहित नहीं होती- न यत्र बैकुंठ कथा सुधा पगा,न साधवो भागवतास्तदाश्रयाः। भगवान के चरणों के आश्रय में रहने वाले संत स्वर्ग में निवास नहीं करते, स्वर्ग में कोई साधु नहीं है।”न यत्र यज्ञेशमखामहोत्सवाः ” स्वर्ग में यज्ञ नहीं होते, देवताओं को यज्ञ करने की इच्छा होती है तो भारत की पावन भूमि पर आना पड़ता है।
दक्ष प्रजापति को यज्ञ करना हुआ तो हरिद्वार आये। स्वर्ग में यज्ञ नहीं हो सकता। वहां श्रीरामनवमी, श्रीकृष्णजन्माष्टमी, श्रीनरसिंह चतुर्दशी,वामन द्वादशी, विवाह पंचमी, होली, दिवाली कुछ भी नहीं होता। देवता कहते हैं भगवान की भक्ति से शून्य ऐसा इंद्रलोक भी रहने लायक नहीं है।
धरती ही नहीं समस्त लोकों में स्वर्ग को श्रेष्ठ बताया गया है। वह स्वर्ग भी भारत भूमि के सामने आध्यात्मिक दृष्टि से हल्का हो जाता है। स्वर्ग में एक ही गुरु है, गुरुदेव बृहस्पति। भारत की भूमि पर हम आपको अनंत गुरुजनों का दर्शन होता है। स्वर्ग में एक ही कवि है, गुरु शुक्राचार्य।यहाँ कवि का अर्थ विद्वान से है। भारत की भूमि ऐसी है कि-जहाँ अनेक विद्वान है। स्वर्ग में एक ही कलाधर है,भगवान् विश्वकर्मा। भारत की भूमि पर अनंत कलाओं के अनंत ज्ञाता हैं।
इस दृष्टि से भारत की भूमि धरती के समस्त भूमि से श्रेष्ठ तो है ही, भारत की भूमि आध्यात्मिक दृष्टि से स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है। भारत की पावन भूमि पर जन्म, पवित्र कुल में जन्म, फिर भी भगवान की सेवा-पूजा, कथा- कीर्तन भक्ति का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ, तो इससे बड़ा दुर्भाग्य कोई नहीं हो सकता।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).