Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, हमें निज धर्म पर चलना बताती रोज रामायण। सदा शुभ आचरण करना सिखाती रोज रामायण।। “धर्मो रक्षति रक्षितः” धर्म हमारी रक्षा करता है जब हम धर्म का अनुष्ठान करते हैं। हमारे द्वारा जो अनुष्ठित धर्म है वह हमारी रक्षा करता है।
विश्वास से ही दुनिया चलती है। वास्तव में यह भरोसा ही जीवन का आधार है। सम्पूर्ण मानव धर्म इसी भरोसे पर चल रहा है। अन्य युगों में भगवान् की प्राप्ति कठिनता से होती है लेकिन कलिकाल में केवल कीर्तन से भगवान सुलभ होते हैं। कीर्तन हम नहीं कर रहे हैं। भगवान का भजन हम नहीं कर रहे हैं।
भजन में हमारी रुचि नहीं हो रही है। दोष हम स्वयं को नहीं देते हैं। उल्टे हम दोष कलि के माथे पर लगाते हैं। वास्तव में हम जिस युग में जी रहे हैं, उसका आधार हम पर ही है. शक्ति पाना हो तो भीतर आओ। ज्ञान पाना हो तो भीतर आओ। आनंद पाना हो तो भीतर आओ बाहर से नहीं, उछल कूद से नहीं, शांत हो, संयमी हो,उपरत हो, सहनशील बनो। समाधि संपन्न बानो, तब आपको शक्ति मिलेगी।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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