Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जरा सी भूल हुई, स्कूटर फिसला, चक्का गलत घूमा कि दुर्घटना में व्यक्ति प्राण गंवा बैठा। एक ठोकर ही प्राण ले गई। काल हर समय व्यक्ति के संग है। गुब्बारे में हवा भरी हो और एक छोटा सा छिद्र हो जाये तो हवा निकल जाती है। शरीर गुब्बारे में तो नव छिद्र हैं इससे तो एक दिन हवा निकलेगी ही और व्यक्ति तब काल का ग्रास बन जायेगा।
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे।।टेक।। पेट पकड़ कर माता रोवे, बांह पकड़ कर भाई। लिपट झपट कर तिरया रोवे, हंस अकेला जाई।।
जब तक जीवे माता रोवे, बहन रोवे खटमासा। तेरह दिन तक तिरिया रोवे, फेर करे घर बासा रे।।
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे।। चार गजी चार गजी मंगाई, चढ़ा काठ की घोड़ी।
चारों कोने आग लगा दियो, फूंक दिया जस होरि। हाड़ जरे जस लाकड़ी, केस जरे जस घासा। सोने जैसी काया जर गई, कोऊन आयो पासा।।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, छोड़ो जग की आशा रे। मन फूला-फूला फिरे जगत में कैसा नाता रे।।
नाव में छिद्र हो गया, नाव में पानी लगातार भर रहा है। तो नाविक दो काम करता है, पहला कार्य नाव से पानी बाहर निकालता है और दूसरा कार्य तेज गति से नाव को किनारे की तरफ ले जाने का प्रयास करता है। साधक को अपने कर्तव्य का पालन करते हुए, तीव्र गति से भगवान का भजन करना चाहिए। ताकि प्रभु चरणों की प्राप्ति और मानव जीवन पाना सार्थक हो जाये।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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