कर्मों का कर्ता बन कर्मफल से सम्बन्ध जोड़ने से ही जीव होता है सुखी: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कर्मों का कर्ता बन कर्मफल से सम्बन्ध जोड़ने से ही जीव सुखी दुःखी होता है यदि वह कर्म फल के साथ अपना सम्बन्ध न जोड़े तो वह कर्मफल के सम्बन्ध से मुक्त रह सकता है। कर्म दो प्रकार से किये जाते हैं- कर्मफल की प्राप्ति के लिये और कर्म तथा उसके फल की आसक्ति मिटाने के लिये। सदैव प्रसन्न रहना एक मानसिक तपस्या है, इस तपस्या में सुख नहीं आनन्द मिलता है। ‘ परमात्मा के स्वरुप ‘ का मनन करना भी एक तपस्या है।
हर व्यक्ति को यह बात तो समझ में आ जाती है कि जो एकान्त में रहता है और साधन भजन करता है, उसका कल्याण हो जाता है। परन्तु यह बात समझ में नहीं आती कि जो सदा मशीन की तरह संसार में सबका काम करता है उसका कल्याण कैसे होगा? इसके उत्तर में भगवान कहते हैं ‘ मत्प्रसादात् ‘। जिसने मेरा आश्रय ले लिया है, उसका कल्याण मेरी कृपा से हो जायेगा, कौन है मना करने वाला?
धन कमाने वाले तो दिखते हैं, अध्यात्म कमाने वाले नहीं दिखते। सभी वस्तुएं महंगी हो गई हैं, लेकिन रुपया सस्ता हो गया है, इसी प्रकार भगवान् भी सस्ते और सुलभ हो गये हैं। लेकिन इस और तत्परता से समय लगाने वाले कम हैं। इस शरीर को पाकर भी उन्नति न कर सके तो फिर दूसरा शरीर नहीं मिलेगा, जिसमें आप अपनी पारमार्थिक उन्नति कर सकें।
इसके विषय में गंभीरता से सभी सोचें और मनन करें। लगता है आप गहरे उतरकर सोचते नहीं है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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