Reporter
The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सूक्ष्म रूप से देखा जाये तो न तो सूर्य उगता है और न सूर्य अस्त होता है। सूर्य उगने की और अस्त होने की क्रिया करता ही नहीं है। हम समझते हैं कि सूर्य उगता है और अस्त होता है। इसी तरह आत्मा जन्म की और मरने की क्रिया करता ही नहीं है। हम कहते हैं कि व्यक्ति का जन्म हुआ और उसकी मृत्यु हुई।
आत्मा न तो मरती है, न तो जन्म लेती है। उनका अस्तित्व तो है ही। भगवान श्रीकृष्ण श्रीमद्भगवतगीता के दूसरे अध्याय में कहते हैं कि न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः। अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे।। आत्मा न जन्म लेता है, न मरता है, न उत्पन्न होता है। अर्थात् मिटकर न फिर से जन्म लेने वाला है।
वह नित्य है, अजन्मा है, शाश्वत है, पुराण है, पुराण का मतलब प्राचीन होने के साथ भी नित्य नया है। श्रीगंगाजी वर्षो से बहती हैं। इसलिए वह पुरानी है। मगर गंगा की धारा में बहता हुआ पानी हर क्षण नया है। इस अर्थ में गंगा प्राचीन भी हैं और नूतन भी हैं।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).