सत्संग द्वारा अपने जीवन की धारा को योग की ओर मोड़ देना ही मानव जीवन का है परम लक्ष्य: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सत्संग द्वारा अपने जीवन की धारा को योग की ओर मोड़ देना ही मानव जीवन का परम लक्ष्य है। भगवान व्यास श्रीमद्भागवत महापुराण में कहते हैं कि- प्रभु ! भक्त आपके नामों का स्मरण करे, आपकी कथा सुने, संतों की सेवा करे, अपने कर्मों का फल आपके चरणों में समर्पित करे और आप में पूर्ण विश्वास जो रख ले, ऐसे व्यक्ति को आपकी भक्ति मिल जाया करती है और आपका दर्शन हो जाया करता है।
यह शरीर तो एक रथ है, एक गाड़ी है। जैसे हमें दिल्ली जाना है, गाड़ी मिली है दिल्ली जाने के लिये। सोचते रहते हैं कि कब दिल्ली पहुंचे और गाड़ी छोड़ दें। साधन साध्य नहीं हो सकता। शरीर ईश्वर को पाने का एक साधन है, मनुष्य जीवन का साध्य ईश्वर है। शरीर पाकर शरीर के भोगों के लिये हम जिन्दगी खराब कर रहे हैं। फिर हमें भगवान कब मिलेगा। बिना भगवान के मिले शांति हमें मिलेगी नहीं।
जीव! जब तक तुम्हें ईश्वर की प्राप्ति नहीं होगी, तब तक शांति नहीं मिलेगी, पछताना पड़ेगा। सेमर की झाड़ पर बहुत बढ़िया फल लगते हैं, जैसे अनार के ऊपर बहुत बढ़िया और सुंदर फल लगते हैं। तोता देखकर बहुत खुश हो कि कितने बढ़िया फल लगे हैं, एक फल से ही पेट भर जायेगा। जब डाल पर बैठकर चोंच मारता है तो उसके अंदर से रूई निकलती है, फिर दूसरे में, फिर तीसरे में, फिर चौथे फल में चोंच मारता है और उसके अन्दर से रूई निकलती है। सब में रूई तो भरी हुई है, तब तक सूर्यास्त हो जाता है, और उसे भूखा ही सोना पड़ता है।
‘तेहि सुआ तेहि सेमरा सेवत सदा बसन्त’ गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महराज कहते हैं कि अगले बसन्त में फिर फूल खिलेंगे तो फिर चोंच मारेगा, तोता नादान है, इसीलिए चोंच मारता है, लेकिन मनुष्य स्वयं को समझदार कहता है फिर भी उन्हीं विषयों का सेवन करता है। मनुष्य की बुद्धिमानी तब ही मानी जायेगी, जब वह प्रभु की ओर चल पड़ेगा। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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