Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अन्तकाल में संसार के किसी भी चित्र का चिंतन करने से मन खराब हो जाता है, क्योंकि संसार के सब चित्र-आकृतियां माया से बनी हुई है। संसार में किसी आकार का चिंतन किया जायेगा तो भी मन में विकार ही पैदा होगा। भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, भगवान शंकर और प्रभु के सभी स्वरूप माया से रहित शुद्ध चैतन्य है।