Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री धनतेरस महापर्व भगवान श्रीधनवंतरिजी का पूजन- भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों में एक धनवंतरि अवतार हुआ। भगवान श्रीधनवंतरि आयुर्वेद के संस्थापक हैं। समुद्र मंथन के समय कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी के दिन भगवान श्रीधन्वंतरिजी का प्राकट्य हुआ। धनतेरस भगवान का प्राकट्य दिवस है। धनतेरस को भगवान श्री धनवंतरि का पूजन श्रीलक्ष्मीजी और कुबेर के साथ करने पर भगवान परिवार में स्वास्थ लाभ प्रदान करते हैं। धनतेरस के दिन तीन देव की पूजा बताई गई है।
माता लक्ष्मी, कुबेर भंडारी एवं भगवान धन्वंतरि। धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि का पूजन अवश्य करना चाहिए। पैसे से दवा खरीदी जा सकती है लेकिन स्वास्थ नहीं खरीदा जा सकता, स्वास्थ तो भगवान की कृपा से ही प्राप्त होता है। इसीलिए अपने यहां एक कहावत कही जाती है कि- अस्वस्थ व्यक्ति के लिए ” दवा और दुआ ” दोनों आवश्यक है।धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि का पूजन अवश्य करना चाहिए।
धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी का पूजन- एक बार भगवान विष्णु धरती पर आने के लिए तैयार हुए, तो श्रीलक्ष्मीजी ने कहा हम भी आपके साथ चलेंगे। भगवान विष्णु लक्ष्मी जी को इस शर्त पर लाये कि मैं जैसा कहूंगा वैसा ही आप करना। धरती पर आकर एक जगह लक्ष्मी जी को रुकने को कहा, आप यही रुकना मेरे पीछे मत आना मैं वापस लौट करके आ जाऊंगा। कौतूहल बस लक्ष्मी जी भी पीछे-पीछे चली गई। एक गरीब किसान का घर था, भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी को श्राप दिया कि आपने मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया, मना करने पर भी आयी।
अब बारह वर्ष आपको यही रहना पड़ेगा। श्रीलक्ष्मीजी वहां धनतेरस के दिन उस गरीब किसान परिवार से लक्ष्मी की मूर्ति का पूजन करवाती। वह परिवार खूब श्रीमंत हो गया। बारह वर्ष बाद लक्ष्मी जी जब जाने को तैयार हुई, किसान ने रुकने के लिये कहा। भगवान नारायण ने कहा लक्ष्मी कहीं एक जगह नहीं रहती। यह कभी किसी को धनवान बनाती हैं और फिर कभी किसी को धनवान बनाती है। मेरे श्राप के कारण बारह वर्ष तुम्हारे यहां रहकर तुम्हें श्रीमंत बना दिया।
श्रीलक्ष्मीजी ने किसान से प्रतिवर्ष धनतेरस के अवसर पर श्रीलक्ष्मीजी की मूर्ति पूजन के लिए कहा- और कहा ऐसा करने पर तुम्हारे यहां अखंड लक्ष्मी जी का वास रहेगा। जो धनतेरस के दिन महालक्ष्मी का पूजन करते हैं उनके यहां महालक्ष्मी का अखंड वास रहता है।धनतेरस के दिन श्रीकुबेर भंडारी जी का पूजन- धनतेरस के दिन ही भगवान शंकर ने श्रीकुबेरजी को देवताओं का धनाध्यक्ष बनाया, कुबेर अलकापुरी के राजा बनें।
श्रीकुबेर भंडारी ने सपरिवार, सपरिकर शिव पार्वती का पूजन किया।भगवान शंकर ने वरदान देते हुए कहा कि जो धनतेरस के दिन कुबेर भंडारी के मूर्ति की पूजा करेंगे उनका खजाना भरा रहेगा। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).