Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान् की प्रतिज्ञा- मेरे मार्ग पर पैर रखकर तो देख, तेरे सब मार्ग न खोल दूं तो कहना।। मेरे लिये खर्च करके तो देख, कुबेर के भंडार न खोल दूं तो कहना।। मेरे लिए कड़वे वचन सुनकर तो देख, मेरी कृपा न बरसे तो कहना।। मेरी तरफ आ के तो देख, तेरा ध्यान न रखूं तो कहना।।
मेरी बात लोगों से करके तो देख, तुझे मूल्यवान न बना दूं तो कहना।। मेरे लिए कुछ बन के तो देख, तुझे कीमती न बना दूं तो कहना।। मेरे मार्ग पर निकल के तो देख, तुझे शान्ति दूत न बना दूं तो कहना।। स्वयं को न्यौछावर करके तो देख, तुझे मशहूर न करा दूं तो कहना।।मेरा कीर्तन करके तो देख, जगत का विस्मरण न करा दूं तो कहना।।
तू मेरा बन के तो देख, हर एक को तेरा न बना दूं तो कहना।। मेरे चरित्रों का मनन करके तो देख, ज्ञान के मोती तुझमें न भर दूं तो कहना। मुझे अपना मददगार बना के तो देख, तुम्हें सबकी गुलामी से न छुड़ा दूं तो कहना।। मेरे लिये आंसू बहा के तो देख, तेरे जीवन में आनंद के सागर न बहा दूं तो कहना।। परमात्मा आनंद के केंद्र हैं-
सच्चिदानंद- भगवान् कृष्ण, सत् – जो तीनों काल में सदा रहता है उसे सत् कहते हैं। चित- जो चेतन होता है उसे चित् कहते हैं और तीसरा विशेषण है आनंद- परमात्मा आनंद का केंद्र है। जैसे जल का केंद्र समुद्र है और प्रकाश का केंद्र सूर्य है, इसी तरह आनंद का केंद्र परमात्मा हैं । संसार को, प्रकृति को, परमात्मा ने आनंद का एक बिंदु प्रदान किया है।
परमात्मा सिंधु रूप है,ज्यादा तर लोग बिंदु में पागल हो रहे हैं। कदाचित् सिंधु प्राप्त हो जाये तो फिर हमारे आनंद की सीमा क्या होगी विचार कीजिए ? इस जगत की उत्पत्ति, पालन तथा संहार जिनके द्वारा होता है, दूसरा प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में तीन ताप होते हैं- दैहिक, दैविक और भौतिक। जो श्री कृष्ण के चरणों में समर्पित हो जाते हैं, उनके जीवन के तीनों ताप समाप्त हो जाते हैं।
ऐसे सच्चिदानंद स्वरुप भगवान् श्री कृष्ण को हम सब नमस्कार करते हैं। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).