Astrology: देश का वो मंदिर जहां शंख बजाने पर है मनाही, जानिए इसके पीछे का कारण

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Badrinath Dham: भारत को मंदिरों का देश भी कहा जाता है. देश के हर राज्य और शहर में सैकड़ों मंदिर हैं. ऐसे में तमाम मंदिरों की कई मान्यताएं हैं और कई नियम हैं. इनमे से ही एक मान्यता के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

दरअसल, सनातन धर्म में शंख बजाना शुभ माना जाता है. पूजा पाठ के शुरू होने से लेकर पूर्णाहुति तक शंख की ध्वनि सुनाई देती है. ऐसा भी कहा जाता है कि जिस पूजा में या जिस मंदिर में शंख नहीं बजता है वहां की पूजा पूरी नहीं मानी जाती है. ऐसे में अगर हम कहें कि देश में एक ऐसा भी मंदिर है जहां शंख बजाने पर मनाही है. ये मंदिर देवभूमि उत्तराखंड में स्थित है. आइए आपके इसके बारे में बताते हैं.

इस मंदिर में शंख बजाने पर है मनाही

सनातन धर्म के चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम मंदिर पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के चमोली जनपद में है. यह पवित्र धाम अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है. मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा के दौरान शंख नहीं बजाया जाता है. भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर वैष्णवों के लिए खासकर एक पवित्र स्थल है, जहां भगवान विष्णु की पूजा बद्रीनाथ के रूप में की जाती है.

जानिए पौराणिक मान्यता

इस मंदिर में शंख बजाने पर मनाही है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके पीछे दो पौराणिक मान्यताएं हैं. यही वजह है कि इस मंदिर में पूजा पाठ, विशेष अनुष्ठान या आरती के दौरान भी शंख नहीं बजाया जाता है. पहली पौराणिक कथा के अनुसार बद्रीनाथ धाम में स्थित तुलसी भवन में मां लक्ष्मी ध्यान मुद्रा में विराजमान थी, तभी भगवान विष्णु ने शंखचूर्ण नामक राक्षस का वध किया था. वहीं, किसी भी युद्ध को जीतने के पश्चात शंख का नाद किया जाता है. बावजूद इसके भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी के ध्यान में किसी भी तरह की परेशानी न हो इसी कारण उन्होंने शंख का नाद नहीं किया. इसी मान्यता के कारण बद्रीनाथ धाम में शंख नहीं बजाया जाता है.

यह भी पढ़ें: Santan Prapti ke Upay: महादेव का वह मंदिर, जहां महाशिवरात्रि का प्रसाद खाने से होती है संतान सुख की प्राप्ति!

वहीं, दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार केदारनाथ में राक्षसों ने एक समय बहुत तहलका मचाया हुआ था. जिससे बड़े -बड़े ऋषि-मुनियों से लेकर मानव तक परेशान थे. यह सब देखकर अगत्स्य नामक मुनि ने सभी राक्षसों का वध करना शुरू किया. तभी वतापी और अतापि नाम के दो राक्षस अपनी जान बचाने के लिए मन्दाकिनी नदी की शरण ली और वहीं पर शंख में जाकर छुप गए, शंख बजाने से राक्षस भाग जायेंगे इसी कारण ऋषि अगत्स्य ने शंख नहीं बजाया. इस कारण से भी बद्रीनाथ धाम में शंख नहीं बजाया जाता है.

मंदिर में शंख न बजाने के पीछे का वैज्ञानिक तर्क

जानकारी दें कि पौराणिक कथा-मान्यताओं के आलावा बद्रीनाथ मंदिर में शंख न बजाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है. जिसके कारण यहाँ शंख बजाना प्रतिबंधित है. दरअसल, सर्दियों के मौसम में अधिक ठण्ड के कारण यहां बर्फ पड़ने लगती है जिससे बर्फ टूटने गिरने का खतरा बढ़ जाता है और ऐसी स्थिति में शंख के नाद से बर्फ में दरार पड़ने की काफी सम्भावना होती है. जिससे लैंडस्लाइड हो सकती है और जन-जीवन प्रभावित हो सकता है.

(अस्वीकरण: लेख में दी गई जानकारी केवल मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर लिखी गई है. द प्रिंटलाइंस इसकी पुष्टी नहीं करता है.)

Latest News

26 September 2024 Ka Panchang: गुरुवार का पंचांग, जानिए शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

26 September 2024 Ka Panchang: हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ और अशुभ मुहूर्त देखा...

More Articles Like This

Exit mobile version